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सरसों-गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होने के बाद भी मंडियां सुनसान

चरखी दादरी। सरसों व गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होने के बाद भी किसानों का रुझान मंडी की ओर दिखाई नहीं दे रहा है। अब तक जिलेभर में बनाए खरीद केंद्रों पर मात्र दर्जनभर ही किसान अपनी फसल लेकर पहुंचे हैं। किसानों के मंडी ना पहुंचने के कारण मंडियों में पिछले वर्षों जैसी रौनक नहीं दिखाई दे रही है। मंडियों में हर वर्ष सैकड़ों प्रवासी मजदूर रोजी रोटी की तलाश में आते हैं। इस बार अनाज की आवक कम होने से मंडियों में ना के बराबर कामकाज है। ऐसे में मजदूरों को भी कामकाज नहीं मिल पा रहा। वहीं किसानों को सरकारी रेट से ज्यादा भाव मंडी से बाहर मिल रहे हैं। वहीं इस बार मौसम की मार के बाद किसानों की फसलों में नमी ज्यादा होने का खामियाजा भी उनको भुगतना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि बाजारों में फसलों की ज्यादा कीमत मिलने के कारण दादरी ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के किसान खरीद केंद्रों पर गेहूं व सरसों बेचने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। पिछले वर्षों की बात करें तो इन दिनों एमएसपी पर फसल बेचने के लिए किसानों का तांता लगा जाता था। फसल बेचने के लिए किसानों में मारामारी रहती थी। लेकिन इस बार अप्रैल के प्रथम सप्ताह होने के बाद भी मंडियां व खरीद केंद्र सुनसान है। ऐसे में प्रवासी मजदूरों को काम-काज नहीं मिलने से उनके समक्ष रोजी-रोटी के लाले पड़े हैं। मजदूूरों को दिनभर अनाज आने का इंतजार रहता है। किसान कुलदीप का कहना है कि नमी ज्यादा नहीं होने से एमएसपी रेट नहीं मिल रहा मजबूरी में बाहर बेचनी पड़ रही है। श्रमिक जोनी ने बताया कि इस बार मंडी में फसल की आवक नहीं होने से उनके समक्ष रोजी-रोटी के लाले पड़े हुए हैं। उधर मंडी सचिव व आढति विनोद गर्ग ने कहा कि सरकार की एमएसपी खरीद योजना से आढतियों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। सरकार को अपने नियम बदलने चाहिए।

खुले बोली में सरसों की खरीद एमएसपी से करीब 1500 व गेहूं की खरीद 500 रुपये अधिक हो रही है। गेहूं की खरीद कम होने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा है कि किसान सरकार से बोनस मिलने की उम्मीद में है। किसान खेतों से फसल निकालकर घरों में उसका भंडारण कर रहे हैं। यदि सरकार बोनस की घोषणा करती है तो मंडियों में अनाज की आवक बढ़ जाएगी। वहीं इस बार नमी ज्यादा होने के चलते किसान अपनी फसल मंडी में लेकर नहीं आ रहे हैं।

मार्केट कमेटी सचिव परमजीत नांदल का कहना है कि किसानों को रेट बढऩे की आशंका है, ऐसे में वे अपनी फसल नहीं बेच रहे हैं। एमएसपी से ज्यादा रेट बाजार में मिल रहा है, ऐसे में किसान अपनी फसल का स्टॉक कर रहे हैं। हालांकि मार्केट कमेटी व खरीद एजेंसियों द्वारा खरीद के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। बावजूद इसके पिछले वर्ष की तुलना में इस बार नाममात्र ही अनाज आ रहा है

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