लंपी बीमारी के पंजाब पहुंचने के बाद सरकार ने बॉर्डर एरिया के हर जिले को 5-5 लाख रुपए और अन्य जिलों के लिए 3-3 लाख रुपए जारी किए हैं। इस रकम से लंपी बीमारी से ग्रस्त जानवरों को दवा दी जाएगी। गुजरात में 12 हजार पशुओं की मौत के बाद वहां के 10.6 लाख पशुओं को वैक्सिनेट किया जा चुका है।
पंजाब में पहुंची ‘लंपी’ कई गांवों में पशु बीमार, इलाज के लिए 76 लाख का ‘इमरजेंसी फंड’ मंजूर
पंजाब कई मे गांवों लंपी रोग से ग्रस्त जानवर।
यह बीमारी अधिकतर बॉर्डर बेल्ट एरिया के पशुओं में अधिक देखने को मिल रही है। जिसके बाद कैबिनेट मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने राज्य सरकार से जानवरों के तुरंत इलाज के लिए 76 लाख रुपए की राशि जारी करवाई है।
यह बीमारी एक महीना पहले गुजरात के अंदर पशुओं में देखने को मिली थी। उसके बाद बीमारी राजस्थान पहुंची। यह बीमारी पंजाब पहुंच गई है। इसका सबसे अधिक असर बॉर्डर एरिया के गांवों में देखने को मिल रहा है। कैबिनेट मिनिस्टर लालजीत सिंह भुल्लर ने खुद बॉर्डर एरिया के कई गांवों का दौरा करने के बाद बीमार पशुओं के इलाज के लिए 76 लाख रुपए जारी करवाए हैं।
यह बीमारी पंजाब में बेकाबू हो गई तो राज्य में दूध का संकट खड़ा हो सकता है।
लंपी वायरस का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं है। पशुओं को इससे बचाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि उन्हें लंपी से प्रभावित क्षेत्रों में जाने से रोका जाए। लंपी के शिकार पशुओं को एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जाती हैं।
चमड़ी रोग हैं , लंपी रोग एक वायरस के जरिये पशुओं में फैल रहा है। इसे ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ भी कहा जाता है। इस वायरस की तीन प्रजातियां हैं। पहली प्रजाति ‘कैप्रिपॉक्स वायरस’, दूसरी गोटपॉक्स वायरस और तीसरी शीपपॉक्स वायरस हैं।इसमें पशुओं को बुखार आता है। उसके साथ ही वजन कम होना, लार निकलना, आंख-नाक का बहना, दूध कम होना शुरू हो जाता है। पशुओं के शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखने लगते हैं। उनके शरीर में गांठें बन जाती हैं। मादा मवेशियों को इस बीमारी की वजह से बांझपन, गर्भपात, निमोनिया और लंगड़ापन भी झेलना पड़ सकता है।