मनरेगा और निर्माण मज़दूर यूनियन सम्बंधित सीटू खण्ड कमेटी धर्मपुर ने बोर्ड के कर्मचारियों पर मज़दूरों को परेशान करने का आरोप लगाया है। जिसके चलते पिछले कुछ दिनों से बोर्ड से पंजीकृत मनरेगा मज़दूरों से कई तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं और उन्हें जमा करने के लिए दो तीन दिन का समय देते हुए तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे हैंऔर ये कहा जा रहा है कि यदि ये सब जल्दी नहीं किया गया तो उनके पंजीकरण कार्ड रद्द कर दिये जायेंगे। यूनियन के खंड अध्यक्ष करतार सिंह चौहान व महासचिव प्रकाश वर्मा ने बताया कि श्रमिक कल्याण बोर्ड सरकाघाट कार्यालय के कर्मचारी इस बारे पंचायत प्रधानों को फ़ोन कर रहे हैं कि पिछले दस साल में जितने भी मज़दूर बोर्ड से पंजीकृत हुए हैं उनके पंजीकरण कार्ड के पांच छह पृष्ठ, परिवार रजिस्टर की नक़ल और सभी परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड जमा करने के लिए मज़दूरों को बोला जा रहा है।लेकिन ये दस्तावेज किसलिए लिए जा रहे हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है।
हालांकि पंजीकरण और सहायता राशी लेने के लिए भरे प्रपत्रों के साथ ये सब दस्तावेज पहले ही जमा हुए हैं।इसलिये इन्हें दोबारा लेने का कोई औचित्य नहीं है और केवल मज़दूरों को भर्मित किया जा रहा है। यूनियन की मांग है कि बोर्ड कर्मचारी ये बतायें की ये सब दसतावेज इकठ्ठे करने का क्या उद्देश्य है।उधर उनियन के राज्य महासचिव व राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा कि ये सब दस्तावेज लेने के लिए जो अभियान चलाया गया है वो ग़लत है जिसका सभी मज़दूर यूनियनों और बोर्ड के गैर सरकारी सदस्यों ने विरोध किया है और इस बारे बोर्ड के सचिव से 2 सितंबर को बैठक की गई थी और इस अभियान को बन्द करने की मांग की है।उन्होंने बताया कि बोर्ड ने पिछले एक साल से मज़दूरों के सारे लाभ रोक दिए गए हैं और यहां तक कि मज़दूरों का पंजीकरण और नवीनीकरण भी नहीं हो रहा है दूसरी तरफ मनरेगा मज़दूरों को बोर्ड से बाहर करने का निर्णय लिया है|
जिसके ख़िलाफ़ हमने कई बार प्रदर्शन भी किये हैं और अब हमारे हस्तक्षेप और मांग पर ये मामला हिमाचल सरकार के विधि विभाग को स्पष्टीकरण के लिए भेजा गया है कियूंकि बोर्ड और सरकार ने लाभों पर लगाई रोक गैर क़ानूनी है।वहीं भवन निर्माण मज़दूरों को सेस बारे प्रमाण पत्र देने का मामला भी विशेषज्ञ समिति को भेजा गया है तो तब तक ये सब इक्कठे करने का कोई मक़सद नहीं है और केवल मज़दूरों को परेशान करने का ही काम है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले तीन साल के पांच सौ करोड़ रुपये के लाभ बोर्ड में पेंडिंग हैं जिन्हें जारी नहीं किया जा रहा है और सुखू के नेतृत्व वाली राज्य सरकार इन्हें जारी न करने की नीति पर चली हुई है और अब मज़दूरों का ध्यान भटकाने, उनका पैसा और समय बर्बाद करने के लिए ये शगुफ़ा छोड़ दिया है और कुछ अतिउत्साहित प्रधान बिना विभागीय आदेशों के केवल मौखिक आदेशों के आधार पर मज़दूरों को निर्देशित कर रहे हैं जिसका वे विरोध करते हैं।