हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण प्रदेश का हाल-बेहाल हैं. जिसके चलते जगह-जगह भूस्खलान, बाढ़ और बदल फटने के कारण काफी नुक्सान हुआ साथ ही कई लोगों की जाने भी चली गई| अब वही कालका-शिमला नेशनल हाईवे-5 पर परवाणू से कुमारहट्टी तक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की तकनीकी टीम ने पहाड़ों के दरकने के कारण का पता लगाया। इस टीम में आईआईटी रुड़की, आईआईटी मंडी और एनएचएआई के सेवानिवृत अधिकारी मौजूद थे। टीम ने चक्कीमोड़ में मिट्टी के सैंपल भी भरे। इसी के साथ फोरलेन निर्माण कर रही कंपनी से भी किस प्रकार की कटिंग की गई है, समेत कई प्रकार के इनपुट लिए हैं।
वहीं वर्तमान में भी चक्कीमोड़ में पहाड़ से मलबा नहीं रुक रहा है। भूस्खलन के बाद वाहनों की आवाजाही रोकनी पड़ रही है। वहीं परवाणू से सोलन के बीच कई जगह ऐसी हैं, जहां मलबा हटाना गले की फांस बनता जा रहा है। जैसे ही मलबा हटाया जा रहा है, वैसे ही पहाड़ी से भूस्खलन हो जाता है। परवाणू से कुमारहट्टी तक एनएचएआई की विशेष टीम ने दौरा किया है। कुछ डाटा एनएचएआई से भी मांगा है, जो टीम को जल्द दे दिया जाएगा। इसके बाद आगामी कार्य शुरू होगा।
यह है मामला
कालका-शिमला एनएच पर जुलाई माह में हुई बारिश के दौरान काफी दिक्कतें झेलनी पड़ीं। एक अगस्त को हुई बारिश के बाद चक्कीमोड़ में सड़क पूरी तरह ध्वस्त हो गई। इसके बाद एक सप्ताह बाद यहां से वाहनों की आवाजाही शुरू हुई थी। लेकिन तब से लेकर आज तक लगातार पहाड़ी दरक रही है। पहाड़ी पर मिट्टी ही मिट्टी है। ऐसे में यहां पर सड़क का निर्माण करना मुश्किल हो रहा है। वर्तमान में पहाड़ी से आए मलबे पर ही अस्थायी सड़क का निर्माण किया है। वहीं तंबूमोड़ समेत दर्जन ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर वनवे ट्रैफिक चल रहा है। हालांकि, अभी भी भूस्खलन के चलते प्रदेश में कई सड़के बंद हैं|