प्रदेश की मनोहर सरकार और सेहत मंत्री भले ही सूबे में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दम भरते नहीं थकते हो, लेकिन अगर धरातल पर देखा जाए तो आज भी चिकित्सा सेवाओं में सुविधाओं और स्टाफ की बड़ी दरकार है।
ऐसे में बात करने लगे रेवाड़ी के सरकारी ट्रॉमा सेंटर में चल रहे फिजियोथेरेपी सेंटर की तो यहां मौजूद उपकरणों में से कई उपकरण न सिर्फ खराब पड़े हैं, बल्कि जरूरत के मुताबिक उपकरण मौजूद ही नहीं है। इतना ही नहीं, यहां स्टाफ की कमी भी काफी खल रही है। प्रतिदिन करीब 30 से 40 मरीजों की ओपीडी वाला यह सेंटर सिर्फ एक स्पेशलिस्ट और एक सहायक के सहारे ही चल रहा है। कुल मिलाकर एक तरफ उपकरणों की कमी तो दूसरी तरफ स्टाफ का अभाव… ऐसे में यहां आने वाले मरीजों को घंटो अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।
हालांकि सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र कुमार ने जब से यहां कार्यभार संभाला है, उसके बाद नागरिक अस्पताल व ट्रॉमा सेंटर की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में काफी सुधार देखने को मिला है, क्योंकि सिविल सर्जन स्वयं समय-समय पर ओपीडी से लेकर हर चीज का बारीकी से निरीक्षण करते हैं। फिर भी फिजियोथैरेपी सेंटर में आ रही समस्या से मरीजों को दो-चार होना पड़ रहा है।
मरीजों की मांग के मुताबिक स्वास्थ्य प्रशासन को चाहिए कि यहां पूरी संख्या में जरूरत के हिसाब से उपकरण मुहैया कराते हुए स्टाफ की नियुक्ति की जाए, ताकि मरीजों को इसका लाभ मिल सके।
इसे लेकर जब स्वास्थ्य अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पहले यह सेंटर रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से संचालित हो रहा था। उन्होंने माना कि अभी यहां कुछ कमियां हैं, जिसे लेकर उनका प्रयास है कि जल्द ही इन कमियों को दूर कराते हुए मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था प्रदान की जाए। मगर कुछ भी हो, अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य प्रशासन कब तक इस ओर ध्यान दे पाता है।
