ऑपरेशन मुस्कान के तहत इस समय खाकी लोगों के घर की खुशियां लौटाने के अभियान में लगी है और सबसे दिलचस्प बात यह कि इसमें खाकी को हर दिन सफलता मिल रही है और किसी न किसी मां के आंसू फिर से खुशियों के आंसू में तब्दील हो रहे हैं। इस ऑपरेशन के तहत पुलिस को वैसे तो काफी मशक्कत करनी पड़ रही है लेकिन जब घर परिवार वाले दुआएं देते हैं तो पुलिसकर्मियों को अपनी मेहनत का सार्थक परिणाम दिखता है और इस बात का सुकून भी पुलिस वालों को मिलता है। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश पुलिस द्वारा 1 अप्रैल से चलाया हुआ “ऑपरेशन मुस्कान” ने तीन हफ़्तों में ही तक़रीबन 536 बच्चों को उनके परिवार तक पहुँचाने में सफलता प्राप्त की है।
प्रदेश पुलिस ऑपरेशन मुस्कान के तहत गुमशुदा बच्चों बालक बालिकाओं व अन्य परिवर्जनों की तलाश कर उन्हें बरामद करते हुए उनके परिजनों को सौंपने के अभियान में लगी है। वैसे उल्लेखित है कि विगत कई वर्षों से स्टेट क्राइम ब्रांच के अंतर्गत कार्य करने वाली एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स खोये हुए बच्चों, व्यक्तियों, बाल भिखारियों, बाल मज़दूरों को रेस्क्यू करने का कार्य कर रही है।
तीसरे हफ्ते में परिवार से मिलवाये 212 बच्चे और 192 व्यस्क
प्रदेश पुलिस ने मिशन ऑपरेशन मुस्कान के तहत गुमशुदा बच्चों और वयस्कों की तलाश कर उन्हें बरामद करते हुए उनके परिजनों को सौंपने के अभियान में लगी है। विगत 3 हफ्ते में प्रदेश पुलिस की मेहनत के सकरात्मक परिणाम सामने आने लगे है। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि तीसरे हफ्ते में ही सभी जिलों की और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम के संयुक्त प्रयासों ने 212 बच्चे और 192 वयस्कों को उनके परिवार से मिलवाने में सफलता हासिल की है। उपरोक्त में जिला पुलिस द्वारा 177 बच्चों और एएचटीयू यूनिट्स द्वारा 35 बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया है। तीसरे हफ्ते की कुल संख्या को मिलाकर अभी तक कुल 536 बच्चों और 493 वयस्कों को उनके परिवार से मिलवाया गया है।
पुरानी फाइलों पर भी हो रहा है कार्य, ढूंढे जा रहे है परिवार
ऑपरेशन मुस्कान के तहत थानों में गुमशुदा बच्चों की पुरानी फ़ाइलों को संज्ञान में लेते हुए उच्चाधिकारियों द्वारा हर थाना क्षेत्रों को तत्परता दिखाते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह, आईपीएस के निर्देशों को अमल में लाते हुए पुलिस ने शेल्टर होम में मुवायना करना शुरू कर दिया है। इस हफ्ते तक़रीबन 147 शेल्टर होम में जाकर जांच पड़ताल की है और काउंसिलिंग कर वहां रह रहे बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया है। अक्सर देखा जाता है की शेल्टर होम में रहने वाले बच्चों की बार बार कॉउन्सिलिंग करने से उनको परिवार या घर से जुडी बातें याद आ जाती है जिससे उनके परिवारों को ढूंढने में आसानी होती है।
कुल 472 बाल मज़दूरों हुए रेस्क्यू, इस हफ्ते बचाये 209
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस हफ्ते जिला पुलिस और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने क्रमशः 97 व 112 बालमज़दूरों को रेस्क्यू किया है। वहीँ अब तक इस महीने कुल 472 बच्चों को बाल मज़दूरी से मुक्त करवाया गया है। इसके अलावा माता पिता की काउंसिलिंग भी करवाई गई है ताकि रेस्क्यू किये गए बच्चे दोबारा बाल मज़दूरी में ना जाएँ। इसके अतिरिक्त जानकारी देते हुए बताया कि अब तक प्रदेश पुलिस द्वारा कुल 300 बाल भिखारियों को पुनर्वास करवाया गया है। वहीँ इस हफ्ते कि बात कि जाए तो कुल 117 बाल भिखारियों को रेस्क्यू किया गया है। भीख माँगने में लिप्त बच्चे अक्सर रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड जैसे स्थान पर पाए जाते है, जहाँ से उनको रेस्क्यू कर शेल्टर होम्स में भेजा जाता है।
नाबालिगों को परिवार से मिलवाने में गुरुग्राम अव्वल, बालश्रम रेस्क्यू में पलवल आगे
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि तीसरे हफ्ते में नाबालिगों को उनके परिवार से मिलवाने में गुरुग्राम, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र और करनाल आगे रहा। गुरुग्राम ने 27 बच्चे, 20 व्यस्क , फरीदाबाद ने 21 बच्चे, 16 वयस्क, कुरुक्षेत्र ने 26 बच्चे, 06 व्यस्क और करनाल ने 04 बच्चे, 22 वयस्कों को उनके परिवार से मिलवाया। वही आगे जानकारी दी कि बाल मज़दूरों को रेस्क्यू करने में तीसरे हफ्ते में पलवल ने बाज़ी मारी। पलवल ने 35, कुरुक्षेत्र ने 18 और फतेहाबाद ने 15 बाल मज़दूरों को रेस्क्यू करने में सफलता हासिल की।
एएचटीयू पलवल ने जॉइंट ऑपरेशन में रेस्क्यू किये थे 28 बाल मज़दूर
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि अक्सर पारिवारिक स्थिति के कारण नाबालिग बच्चे, मज़दूरी करने लग जाते है। ऐसे एक केस में एएचटीयू पलवल की टीम ने एएसआई संजय भड़ाना ने चाइल्ड वेलफेयर कमिटी एंव लेबर इंस्पेक्टर के साथ जॉइंट ऑपरेशन में पलवल के कनीना में स्थित एक होटल से लेबर का काम कर रहे है तक़रीबन 28 छोटे बच्चों को रेस्क्यू किया गया। बच्चों की उम्र 10 वर्ष से लेकर 16 वर्ष तक थी। बच्चों से पूछताछ करने के बाद उनके माता पिता की जानकारी प्राप्त कर उनको सकुशल सौंपा गया। इसके अतिरिक्त ऐसे ही एक अन्य केस में एएचटीयू फतेहाबाद ने दुकानों पर काम करने वाले 3 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया।