दिल्ली में आयोजित हो रही दो दिवसीय G20 शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय देशों के अध्यक्ष चर्चा में शरीक होने दिल्ली पहुंच चुके हैं, ऐसे में चीन की अत्यताई नीतियों के ख़िलाफ़ निर्बासित तिब्बतियों ने अपनी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है, आज ग्लोबल सिटी मैक्लोडगंज में SFT संगठन की ओर से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का मुखोटा पहनकर टीचर की भूमिका में खड़े हुए, और उसके हाथ में छड़ी देकर उसे चाइनीज भाषा पढ़ाते हुये भी दिखाया|
दरअसल, निर्बासित तिब्बतियों ने इस प्रणाली के तहत दुनिया का ध्यान चीन की तिब्बतियों के ख़िलाफ़ अतिक्रमणकारी नीतियों की ओर आकर्षित करते हुए इस अंदाज में अपनी आवाज़ बुलंद की… इस दौरान निर्बासित तिब्बतियों के नन्हें मुन्ने बच्चों ने भी आंदोलन में भाग लिया| इस दौरान तेंजिन नामग्याल ने कहा कि चीन धीरे-धीरे तिब्बत की संस्कृति और सभ्यता को चीन की संस्कृति और सभ्यता में मिलाता चला जा रहा है, जिसका मुद्दा हर हाल में G-20 के शिखर सम्मेलन में बाकी राष्ट्राध्यक्षों को चीन के प्रतिनिधियों के सामने उठाना चाहिए|
इसी के मद्देनजर उनकी ओर से ये रोष प्रदर्शन यहां किया जा रहा है, वहीं तेंजिन पासिंग ने कहा कि चीन तिब्बत के छोटे छोटे बच्चों को अपनी मनमर्जी और जोर जबरदस्ती करके चीन के बोर्डिंग स्कूलों में भर्ती कर रहे हैं, जो कि बोर्डिंग स्कूल कम और कैदखाने ज़्यादा हैं, इन स्कूलों में तिब्बतियन सभ्यता, संस्कृति और भाषा को पढ़ाने की बजाय चीनी सभ्यता संस्कृति और भाषा पढ़ाई जा रही है ताकि तिब्बत की नस्ल को पूर्णत चीनी नस्ल में तब्दील किया जा सके, इतना ही नहीं अब तो चीन तिब्बत का नाम भी बदलकर कुछ और रख रहा है, दो महीने पहले ही उनकी ओर से ऐसी हिमाकत की गई है, तो वहीं कई स्थानों के नाम भी अब तक बदले जा चुके हैं, जिसकी वो सरासर निंदा करते हैं और ये मुद्दा हर हाल में G-20 शिखर सम्मेलन में उठना चाहिए।