अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में कैदियों और बंदियों की मेहनत से तैयार किए गए आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के साथ-साथ फर्नीचर और कई अन्य प्रोडक्ट की धूम देखने को मिलेगी। यमुनानगर जिला जेल के अंदर 22 तरीके के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाए जाते हैं।यमुनानगर जिला जेल के विशाल छिब्बर ने बताया कि जेल के बंदियों द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स को और बनाए गए फर्नीचर को और अन्य प्रोडक्ट को गीता जयंती में लगी प्रदर्शनी में काफी पसंद किया गया। उसके बाद उसके बाद हमें प्रेरणा मिली कि लोगों की क्या डिमांड है लोगों को क्या पसंद है ।उसमें कई नई चीजें ऐड की गई।कारपेंटर सेक्शन में और आयरन सेक्शन में लोगों की पसंद के अनुसार हमने समान बनाया। आयुर्वेदिक प्रोडक्ट से लकड़ी से बने कुर्सियां,बेड, शो पीस, आयरन सेक्शन में लोहे की अलमारियां हैं हॉस्पिटल बेड बनाते हैं ।पॉट्स ,स्टैंड्स और अन्य चीजें तैयार की गई है।आयुर्वेदिक के अंदर 22 तरीके का लाइसेंस हमारे पास है जो भी हमारी कॉस्ट आती है उस पर 10 परसेंट लेते हैं जो सरकार के खाते में जाता है। इसमें अलग प्रकार की तरह डाइनिंग टेबल है अलग-अलग प्रकार के पोट स्टैंड है 23 से 29 तरह है। हम इस सभी प्रोडक्ट्स को सूरजकुंड मेला के अंदर भेजेंगे।हमारे जेल में 100 रुपए से लेकर 15 हजार तक के प्रोडक्ट जेल में बनाए जा रहे हैं ।इनको बनाने में पूरी मेहनत लगती है।
जेल की पूरी टीम है और कारपेंटर,आयरन और आयुर्वेदिक सेक्शन में50 से 60 लोगो की टीम काम करती है।जिसमे देखा जाता है कि किस तरह की चीज बनाई जाए जो लोगो को पसंद आये।इस तरह पूरी मेहनत से हर प्रोडक्ट बनाया जाता है।जेलों को लेकर लोगो मे गलत धारणा है।लेकिन कैदियों, बंदियों का पुनरूत्थान हो सके।वो स्किल्ड बने इसके लिए इस तरह वो नकारात्मक विचारों से दूर हो और बाहर जाकर समाज की मुख्यधारा में जुड़कर सही जीवन यापन करें।इस लिए उन्हें स्किल्ड बनाया जा रहा है।बाहर वो जो भी कर के आये हो लेकिन उनके जीवन मे बदलाव आए इस दिशा में माननीय जेल महानिदेशक मोहम्मद अकील के दिशा निर्देश अनुसार काम किया जा रहा है।
ऐसा भी विचार किया जा रहा है कि एक जगह ली जाए जहां पर इन प्रोडक्ट्स को रखा जाए जहां पर यह बिक सकें और इन्हें ऑनलाइन भी करने का विचार है जल्द ही अधिकारियों से बातचीत कर इस पर काम किया जाएगा ताकि यह प्रोडक्ट ऑनलाइन भी खरीदे जा सके। इन सब के पीछे उद्देश्य यही है कि कैदियों का पुनरुत्थान हो