केलंग। लाहुल के सबसे बड़े आराध्य देव राजा घेपन ने शनिवार से घाटी की परिक्रमा आरंभ कर दिया है। इस यात्रा में उनके साथ देवी बोटी भी शामिल हुई है। राजा घेपन भक्तों के लिए सुरक्षा का घेरा बनाने घाटी के दौरे पर निकले हैं। आज आराध्यदेव लाहुल की सिस्सू घाटी में क्यासंदोर मेले के देव समागम में शामिल हुए। राजा घेपन का हर तीन साल बाद सिस्सू स्थित अपने देवालय से परिक्रमा शुरू होता है। मान्यता है कि इस रथयात्रा के दौरान राजा घेपन अपने भक्तों के लिए एक सुरक्षा घेरा बना लेते हैं। इस घेरे से श्रद्धालुओं को राजा घेपन की अगली यात्रा तक के लिए सुरक्षा मिलती है। राजा घेपन अपनी इस यात्रा के दौरान कई पड़ावों से गुजरते हैं।
मान्यता है कि अधिष्ठाता देव राजा घेपन वह चमत्कारिक शक्ति है, जिन्होंने सदियों से लाहुल को एक सूत्र में बांधने की अविश्वसनीय ओर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिस वजह से जन जन की आस्था इन मे रची बसी है। लाहुल की सांस्कृतिक गतिविधियों पर दृष्टिपात करने से ये दृष्टिगोचर होता है कि यहां हर क्षेत्र की संस्कृति भिन्न भिन्न है,अलग अलग धर्मों ओर मान्यताओं को मान्यता देने वाले लोग बसे हैं लेकिन फिर भी लाहुल में प्रचलित किसी भी धर्म के प्रति इतना कट्टरवाद नही है। इन दिनों बर्फबारी की आहट के साथ पतझड़ का मौसम आते ही चुभती सर्द हवाएं,अजीब सी गर्जना लिए लोगों को झकझोर देती है। ऐसे में यहां का जनजीवन तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक देवी देवताओं के इर्द गिर्द सिमट जाती है। राजा घेपन इस यात्रा के दौरान लाहुल के कई गांव और कुंभ स्थलों में रात्रि विश्राम करेंगे। इस दौरान राजा घेपन अपने गुर के माध्यम से भविष्यवाणी भी करेंगे।राजा घेपन और देवी बोटी के मिलन को देखने के लिए रोपसंग में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने दस्तक दी।