सरकाघाट। देश में मनरेगा में मज़दूरों को सौ दिन के रोज़गार का अधिकार प्राप्त है जो हिमाचल प्रदेश में पूर्व भाजपा सरकार ने बढ़ाकर 120 दिनों का कर दिया था। लेकिन आमतौर पर कहीं पर भी निर्धारित दिनों का रोज़गार नहीं मिलता है, जिसके लिए सरकार, प्रशासन और कहीं ग्राम पंचायतों के कर्मचारी और प्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। कई पँचायतों व वार्डों में काम न मिलने की बजह वहां के वार्ड सदस्य भी हैं जो अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम साबित हो रहे हैं और मज़दूरों को काम देने के लिए कोई योजना नहीं बनाते हैं और न ही पँचायत कार्यों को प्राथमिकता देते हैं।
ऐसा ही उदाहरण टिहरा क्षेत्र की ग्राम पँचायत तनिहार के हियुन वार्ड का है। जहां पर इस पँचायत के सबसे ज्यादा ज्यादा जॉबकार्ड हैं जिनकी संख्या 170 है जबकि पूरी पँचायत में सात सौ के आसपास जॉब कार्ड धारक हैं।लेकिन बड़ी हैरानी की बात है कि इन कुल 170 में से 117 जॉब कार्ड धारकों को अभी तक इस वर्ष में एक भी दिन का रोजगार नहीं मिला है। जबकि अन्य तीस मज़दूरों को बीस से कम तो मात्र 23 को तीस-पैंतीस दिनों का ही रोज़गार मिला है।जबकि इस वित्त वर्ष के छः महीने बीत चुके हैं।
यही नहीं इस वार्ड में पिछले साल भी केवल 15 मज़दूरों को ही पचास दिनोँ का काम इस वार्ड में मिला था और शेष 155 मज़दूरों को मात्र 25-दिनों का ही काम मिला था।जबकि इसी ग्राम पँचायत के धलौंन वार्ड में लगभग सभी मज़दूरों को अस्सी दिन से ज़्यादा काम मिला था और इस साल के छः महीनों में धलोंन वार्ड में कुछ मज़दूरों को तो 83 दिनों तक का रोज़गार मिल चुका है।पूर्व ज़िला पार्षद व मनरेगा मज़दूर यूनियन के राज्य महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा कि इस वार्ड के कई मज़दूर उन्हें यहां काम शुरू करवाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने इस बारे खण्ड विकास अधिकारी को शिक़ायत की है और उनसे सबंधित पँचायत प्रधान व सचिव को जल्दी काम उपलब्ध कराने की मांग की है और यदि वार्ड सदस्य अपने काम को सही तरीके से और समय पर पूरा नहीं कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाई की जानी चाहिए।लेक़िन मज़दूरों को निर्धारित दिनों का रोज़गार नियमानुसार मिलना चाहिए।इसके अलावा इस वार्ड में 14वें वितायोग व अन्य मद्दों में भी वर्ष 2021 और 2023 में कोई काम नहीं हुआ है और वर्ष 2022 में शमशान घाट के लिए सड़क व डंगों पर दो लाख रुपये से ज़्यादा ख़र्च हुआ है।भूपेंद्र सिंह ने पँचायत प्रधान व बीडीओ से हियुन वार्ड में सभी मज़दूरों को 120 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की है और अन्य मद्दों के तहत भी यहां पर लोगों की ज़रूरत के अनुसार कार्य करवाने की मांग की है और लापरवाही बरतने वाले नुमाइंदों पर कार्यवाई की भी मांग की है।
रोजगार न मिलने पर लोग ही जिम्मेदार पवन स्टालिन
उधर ग्राम पंचायत तनिहार के उप प्रधान पवन स्टालियन ने कहा कि मनरेगा में रोजगार न मिलने के लिए खुद लोग ही जिम्मेदार हैं क्योंकि जो ग्राम सभा की बैठक होती है तो उसमें लोग भाग ही नहीं लेते तो बिना ग्राम सभा के अनुमोदन से किसी को भी रोजगार मुहैया नहीं करवाया जा सकता है।