नालागढ़ के बारियां में सैनिक स्कूल में तीन दिवसीय संतसंग कार्यक्रम के लिए साध्वी ऋतंभरा पहुंची। नालागढ़ जाते समय हिमाचल के प्रवेश द्वार बद्दी में उनके पहुंचने पर लाज मोटर्स परिवार ने उनका भव्य स्वागत किया। इसके बाद भुड, बागवानियां और नालागढ़ में भी उनका लोगो ने भव्य स्वागत किया। जिसके उपरांत वह नालागढ़ के बारिया स्थित सैनिक स्कूल के लिए रवाना हो गई अपने तीन दिवसीय प्रवास के बारे में जानकारी देते हुए साधवीं ऋतंभरा ने कहा की पूरी दुनिया आंतकवाद व भौतिकवाद का दंश झेल रही है। उन्होंने कहा की सुखी रहने का बस एक ही मार्ग है वह है परमात्मा की शरण में आनाा ओर मानववाद को स्वीकार करना । हम वादो, भाषा, प्रांतो और पार्टिंयों की राजनीति का दंश झेल रहे है। आत्मा को तृप्त करना इसलिए जरूरी है कि वह परमात्मा का अंश है। और बिना उनकी तृत्ती से कुछ मिलने वाली नहीं है। उन्होंने कहा की हमारी दो यात्राएं है। जिस प्रकार एक बीज के दो अंकुर निकलते है। जिसमे एक धरती की गहराई छूता है और दूसरा आसमान की उंचाईयों को छुता है। मनुष्य को भी दो दिशा की यात्रा एक साथ करनी पड़ती है। मनुष्य दुनिया भर के साधन जमा कर सकता है लेकिन सुख परमाता के चरणों में ही मिलता है। उन्होंने कहा कि वह नालागढ़ के बारियां में सैनिक स्कूल में तीन दिवसीय संतसंग करने आई है।
