सैहब सोसाइटी वर्करज़ यूनियन की बैठक सीटू कार्यालय किसान मजदूर भवन चिटकारा पार्क कैथू शिमला में सम्पन्न हुई। यूनियन ने चेताया है कि अगर सैहब व आउटसोर्स कर्मियों की मांगों का समाधान तुरन्त न हुआ तो आंदोलन तेज होगा। सैहब व आउटसोर्स कर्मी नगर निगम की तानाशाहीपूर्वक कार्यप्रणाली के खिलाफ काले बिल्ले लगाकर डयूटी जारी रखेंगे। नगर निगम की मजदूर विरोधी कार्यप्रणाली के खिलाफ सैहब कर्मी हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं। बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा, सचिव अमित कुमार, रंजीव कुठियाला, यूनियन अध्यक्ष जसवंत सिंह, महासचिव ओमप्रकाश गर्ग, नरेश ठाकुर, पाला राम मट्टू, सुनील, योगेश, भरत, पवन, नरेंद्र, अमित भाटिया, रूपा, पूनम, शारदा, देवी सिंह, सूरत राम, नरेंद्र, राकेश, नरेश, राहुल, शिव राम, बूटा राम, विक्रम, दिगम्बर, मनोज, अजित आदि शामिल रहे।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा, यूनियन अध्यक्ष जसवंत सिंह व महासचिव ओमप्रकाश गर्ग ने कहा है कि सैहब, आउटसोर्स मजदूरों व सुपरवाइजरों का भारी आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि हर महीने एक दर्जन सुपरवाइजरों व सैंकड़ों आउटसोर्स कर्मियों का वेतन रोका जा रहा है जोकि वेतन भुगतान अधिनियम 1936 का उल्लंघन है। सुपरवाइजरों व गारबेज कलेक्टरों के हर महीने वेतन को रोकने के नगर निगम आयुक्त के निर्णय को श्रम अधिकारी शिमला द्वारा गैर कानूनी घोषित किया जा चुका है परन्तु इसके बावजूद वह तानाशाही कर रहे हैं। आयुक्त आए दिन सुपरवाइजरों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर रहे हैं जोकि गैर कानूनी है। वह श्रम विभाग के आदेशों की खुली उल्लंघना कर रहे हैं इसलिए श्रम अधिकारी को तुरन्त आयुक्त पर कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर 1908 के तहत कार्रवाई अमल में लानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नगर निगम आयुक्त मजदूरों द्वारा दिए गए 32 सूत्रीय मांग पत्र के ज़रिए उठाई जा रही आवाज़ को दबाना चाहते हैं जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा व इसके खिलाफ सैहब कर्मी हड़ताल पर जाने का पूरा मन बना चुके हैं। प्रशासन द्वारा हर महीने सुपरवाइजरों व आउटसोर्स कर्मियों के वेतन को रोकने तथा सैहब कर्मियों के वेतन को 7 तारीख के बाद देने की परंपरा कानून विरोधी है। अगर यह परंपरा बन्द न की गयी तो मजदूर हड़ताल पर उतर जाएंगे।
उन्होंने मांग की है कि सैहब वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित किया जाए। उन्हें 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन, सुप्रीम कोर्ट के सन 1992 के आदेश, सातवें वेतन आयोग की जस्टिस माथुर की सिफारिशों व 26 अक्तूबर 2016 के माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार 26 हज़ार वेतन दिया जाए। उन्हें अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। उन्हें कानूनी रूप से 39 छुट्टियां दी जाएं। सैहब में आउटसोर्स में कार्यरत कर्मियों को सैहब के अंतर्गत लाया जाए व उन्हें समय पर वेतन दिया जाए। सैहब कर्मियों को 4- 9 -14 का लाभ दिया जाए। सभी सैहब सुपरवाइजरों व मजदूरों को सरकार द्वारा घोषित वेतन दिया जाए। सुपरवाइजरों व मजदूरों के लिए पदोन्नति नीति बनाई जाए। उनकी ईपीएफ की बकाया राशि उनके खाते में जमा की जाए। उनसे अतिरिक्त कार्य करवाना बन्द किया जाए। उन्होंने मांग की है कि सैहब एजीएम की बैठक तुरन्त बुलाई जाए व सैहब कर्मियों की मांगों को पूर्ण किया जाए।