हरियाणा के जिले करनाल में रविवार को सरपंचों की मीटिंग हुई। मीटिंग में सरपंच एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रणबीर समेंन पहुंचे। मीटिंग के दौरान रणबीर समेंन ने 3 अप्रैल को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने ऐलान कर दिया है। जिसमें हरियाणा की खाप पंचायतों की भी मदद लेंगे। असल में सरकार ने पंचायत के कामकाज में पहले 2 लाख से ज्यादा काम को ई-टेंडरिंग से कर दिया।
इसके विरोध में सरपंचों ने पूरे राज्य में प्रदर्शन किया। उन पर चंडीगढ़ में लाठीचार्ज भी हुआ। इसके बाद सरकार ने यह लिमिट 5 लाख कर दी, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस फैसले से भी सरपंच सहमत नहीं है।
राजनीतिक लिहाज से अहम फैसला सरपंचों का यह फैसला राजनीतिक लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि अगले साल 2024 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव और उससे पहले लोकसभा चुनाव होने हैं। सरपंचों ने एलान किया है कि BJP-JJP गठबंधन सरकार के किसी भी मंत्री, नेता को वह गांवों में कदम नहीं रखने देंगे, यदि वह जबरन घुसने का प्रयास करते हैं तो होने वाले विरोध के लिए वह स्वयं ही जिम्मेदार होंगे।
लड़ाई की बदली रणनीति ई-टेंडरिंग को सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार से जोड़ने के बाद सरपंचों ने अपनी रणनीति बदल दी है। अब सरपंच अपनी दो मुख्य मांगों पर फोकस कर रहे हैं। एक तो पंचायत एक्ट को लागू करें और दूसरा राइट टू रिकॉल को निरस्त किया जाए। हरियाणा के सरपंच एसोसिएशन के प्रधान रणबीर समैण का कहना है कि जब तक सरकार हमारे अधिकार वापस नहीं करती ग्राम पंचायतों का आंदोलन जारी रहेगा।