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हरियाणा के अलग अलग जिलों में हुए घोटाले

चंडीगढ़: शुक्रवार, 24 फरवरी:
• हरियाणा के अलग अलग जिलों में हुए घोटाले को एक कुरुक्षेत्र जिले तक सीमित रखने कि सरकार कि कोशिस!
• दोषी पार्षदों व अधिकारियों को सरकारी गवाह बनाया और शिकायतकर्ता को गवाहों की सूची से बाहर रखा ।
• भूतों को पेंशन बांटने के मामले में पुलिस ने रिटायर्ड सेवादार व क्लर्क पर बड़े पेंशन घोटाले को अंजाम देने का दोषी बनाया:
ज्ञात रहे कि आर.टी.आई. कार्यकर्त्ता राकेश बैंस ने अपने वकील प्रदीप रापडिया के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर करके पुरे हरियाण में हुए पेंशन वितरण में हुए घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग की और आरोप लगाया कि तत्कालिन सरपंचों व नगर पालिका के पार्षदों ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत करके ऐसे व्यक्तियों को पेंशन वितरण कि जो स्वर्ग सिधार चुके हैं और सरकार को करोड़ों रुपये का चुना लगाया ।
हाई कोर्ट के जज विनोद भारद्वाज ने आदेश में क्या कहा:
 डायरेक्टर विजिलेन्स व मुख्य सचिव समाज कल्याण विभाग को 12 हफ्तों में विस्तृत हलफ़नामा दायर करते हुए समाज कल्याण विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों व पार्षदों के खिलाफ भ्रस्टाचार अधिनियम के तहत कार्यवाही का विवरण देने को कहा ! अगर संतुष्टिजनक जवाब कोर्ट को नहीं दिया गया तो घोटाले कि जाँच सीबीआई को सौंप दी जाएगी ।
 कैग कि रिपोर्ट व अन्य जाँच में पाया गया कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों जिसमें निदेशालय के अधिकारी भी शामिल हैं व पार्षदों कि मिलीभगत से बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया।
 जब इतना बड़ा घोटाला याचिकर्ताओं द्वारा सरकार के संज्ञान में लाया गया तो फिर भी अधिकारियों ने मामले को क्यों दबाया?
 जिन पार्षदों ने मृतकों की पहचान करके घोटाले को अंजाम दिया;, उनको पुलिस ने आरोपी बनाने कि बजाय गवाह क्यों बनाया गया ?
 जब कैग जैसी रिपोर्ट पर भी सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही करने में असफल रही तो कोर्ट के सीबीआई को नोटिस करना पड़ा ।
हरियाणा के अलग अलग जिलों में मृत व्यक्तियों को करोड़ों रुपये पेंशन के रूप में देने कि मामले में हाई कोर्ट में सी.बी.आई. जाँच की माँग करने वाली याचिका ने नया मोड़ ले लिया है । आर.टी.आई. कार्यकर्त्ता राकेश बैंस के वकील प्रदीप रापडिया ने कोर्ट को बताया कि सिर्फ शाहबाद (कुरुक्षेत्र) में मनगढंत एफ.आई.आर. दर्ज करके व 13,43,725 रुपये की राशि सरकारी खजाने में जमा करवाने के बाद एक बड़े घोटाले को दबाने के इरादे से पुलिस ने पुरे घोटाले को अंजाम देने के जुर्म में सिर्फ एक रिटायर्ड सेवादार व क्लर्क के खिलाफ निचली अदालत में बोगस व जाली चालान पेश कर दिया । रापडिया के कोर्ट को बताया कि मामले में कैग रिपोर्ट के अलावा तीन विभागीय जाँच हुई और तीनों जाँचों में शाहबाद के पार्षदों और जिला समाज कल्याण अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को दोषी पाया गया । जिन पार्षदों ने ऐसे पेंशन धारकों की पहचान की जो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके हैं और सरकारी खजाने से पेंशन राशि निकालने में मदद की; उनकी सूची खुद समाज कल्याण विभाग ने पुलिस को भेजी थी लेकिन हैरान करने वाली बात है कि सभी दोषी पार्षदों व जिला समाज कल्याण अधिकारी को चालान में सरकारी गवाहों की सूची में रखा गया है, जबकि याचिकर्ता जिसकी शिकायत पर तीन जाँचें हुई और इतना बड़ा घोटाला उजागर हुआ उसको सरकारी गवाहों के सूची से बाहर कर दिया गया है । और तो और याचिकर्ता ने रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से पुलिस अधीक्षक व थानेदार को को पत्र लिखकर मामले हर संभव सहायता देने की पेशकस की लेकिन मामले को दबाने की नियत से पुलिस ने ना तो उससे पूछताछ की ना ही उसको सरकारी गवाह बनाया । ऐसे में याचिकर्ता ने सी.बी.आई. जाँच की मांग दोहराते हुए निचली अदालत की आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने की माँग की है

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