सरकाघाट। बेरोजगारों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत रहती है। माध्यम है विभिन्न चलाई गई योजनाओं का लाभ सामाजिक व आर्थिक रूप से जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा कर उन्हें स्वावलम्बन की राह पकड़ाने का। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद सरकाघाट तहसील के गांव सनीहण, डाकघर गेहरा निवासी इंद्रपाल पुत्र बंशी राम को जब यहां आसपास कोई काम धंधा नहीं मिला तो जानकारों के माध्यम से जीविकोपार्जन के लिए दिल्ली चला गया, लेकिन वहां भी न तो ढंग की नौकरी मिल पाई न ही उचित मेहनताना। इन्द्रपाल ने बताया कि कुछ वर्ष यह दौर चला लेकिन वह वहां उदासीन हो गया और उसने खुद का कोई ऐसा काम धंधा करने की सोची जिससे वह घर के पास रह कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सके। उसके सपनों को पूरा किया हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति विकास निगम ने। एक मित्र ने निगम कार्यालय के बारे मे बताया तो इन्द्रपाल वहां गए। उन्हें योजनाओं के बारे में समझाया गया। पचास हजार रूपये का ऋण उन्हें स्वीकृत हुआ जिसमें दस हजार रूपये उपदान मिला। उन्होंने अब तक की जमापूंजी पचास हजार उसके साथ मिला कर एक लाख रुपये से स्कूल, कैरी ,पिटठू इत्यादि बैग बनाने का काम सरकाघाट में शुरू किया।
बैग बनाने की थोड़ा बहुत जानकारी थी। मशीनें खरीदी और मेहनत से काम चल पड़ा। अब वह बैगों के इलावा सोफा कवर, बेड कवर, अटैची कवर, गाड़ियों की सीट के कवर और कवर भी बनाते हैं व उनको रिपेयर भी करता हैं। आज लगभग तीन लाख रूपये तक सालाना वह कमा लेते हैं और अपने परिवार जनों का भरण पोषण कर पाने में समर्थ हो पाए हैं। इन्द्र पाल ने उसे स्वावलम्बी बनाने के लिए निगम और प्रदेश सरकार का आभार प्रकट किया।
बेरोजगारी का दंश झेल रहे मेहनत मजदूरी कर जीवनयापन कर पेट रहे एक अन्य लाभार्थी विजय कुमार पुत्र मदन लाल निवासी रोपा कोलोनी, सरकाघाट का कहना है कि एक मेले में निगम द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी से ऋण सुविधा बारे पता लगा। उन्होंने संपर्क किया निगम के कार्यालय से। पचास हजार रूपये का ऋण उन्हें स्वीकृत हुआ। उस धनराशि से उन्होंने मनियारी का काम सरकाघाट में शुरू किया। आज वह लगभग दस हजार रूपये प्रतिमाह कमा पा रहे हैं। ऐसे और भी कई लाभार्थी है। जिनके सपनों को पूरा किया है अनुसूचित जाति जनजाति विकास निगम ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है।
इस बारे जानकारी देते हुए सरकाघाट स्थित निगम कार्यालय के सहायक प्रबन्धक भूषण कुमार ने बताया कि हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम हिमाचल प्रदेश के निर्धन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गठित किया गया है। निगम इन वर्गों के परिवारों को अपने कारोबार को बढ़ाने तथा अन्य रोजगार धंधे चलाने के लिए आर्थिक सहायता देता और दिलाता है। निगम द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के आर्थिक विकास हेतु बहुत सारी योजनाएं चलाई गई हैं। जिनमें मुख्यतः स्वरोजगार योजना, हस्तशिल्प विकास योजना, ब्याज मुक्त शिक्षा श्रृण योजना, दलित वर्ग प्रशिक्षण योजना, हिमस्वावलम्बन योजना(प्रथम), हिमस्वावलम्बन योजना (द्वितीय), लघु ॠण /लघु व्यवसाय योजना, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के सौजन्य से शिक्षा ऋण योजना, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम के सौजन्य से शिक्षा ऋण योजना, लघु विक्रय केन्द्र (शॉप -शैड) हैं।
सहायक प्रबन्धक ने बताया कि ऋण गरीबी रेखा से नीचे तथा गरीबी रेखा से दोगुनी आय सीमा तक के व्यक्तियों को ही प्रदान किया जाता है। निगम द्वारा चलाई जा रही स्वरोजगार योजना के अधीन इन वर्गो के निर्धन परिवारों को 50 हजार रूपये तक परियोजनाएं चलाने के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। दो भागों में विभक्त योजना के प्रथम स्वरोजगार योजना में पात्र लोगों को परियोजना लागत का 25% भाग सीमांत धन ऋण/ डिपॉजिट के रूप में तथा 50% अधिकतम दस हजार रूपये पूंजी अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाता है। शेष राशि बैंकों द्वारा ऋण के रूप में उपलब्ध करवाई जाती है।
पूंजी अनुदान के अतिरिक्त निगम ऐसे लाभार्थियों को ब्याज अनुदान प्रदान करता है ताकि उन्हें बैंक ऋण पर 4% से अधिक दर से ब्याज ना देना पड़े यह सुविधा केवल ऋण की वसूली में चूक ना करने वाले लाभार्थियों को ही प्राप्त होगी। स्वरोजगार योजना (द्वितीय) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उन्हीं व्यक्तियों को उपलब्ध कराई जाती है जो गरीबी की रेखा से दुगनी आय सीमा से नीचे रह रहे हों। इस योजना के अंतर्गत ब्याज अनुदान सुविधा प्रदान की जाती है ताकि लाभार्थी को सीमांत धन ऋण तथा बैंक ऋण पर 6% से अधिक ब्याज ना देना पड़े। इस योजना के अधीन पूंजी अनुदान सुविधा नहीं दी जाती। ब्याज अनुदान की सुविधा केवल उन्हीं लाभार्थियों को प्राप्त होती है जो ऋण की अदायगी में चूक नहीं करते।
निगम से सहायता प्राप्ति के लिए पात्र कौन
कर्जा लेने वाला हिमाचल प्रदेश का रहने वाला होना चाहिए, वह हिमाचल प्रदेश की किसी अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति से होना चाहिए, उसकी उम्र 18 से कम व 55 से अधिक न हो, वह किसी बैंक या किसी अन्य ॠण देने वाली संस्था का ऋण दोषी न हो।
आवेदन का तरीका
निगम से ऋण लेने की सुविधा प्राप्त करने के लिए निगम के किसी भी कार्यालय से छपा हुआ फॉर्म निशुल्क मिलता है जिसे निगम के किसी कर्मचारी/ अधिकारी या अन्य किसी पढ़े लिखे व्यक्ति से भरवा लिया जाए या स्वयं भर लिया जाए, ।अपनी उम्र जाति/जनजाति तथा आमदनी का प्रमाण पत्र स्लंगन करके इस फॉर्म को संबंधित कार्यालय में दे दिए जाए। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और आमदनी का प्रमाण पत्र केवल कार्यकारी दंडाधिकारी द्वारा जारी किया गया ही मान्य होगा। हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर निगम के जिला कार्यालय स्थित हैं तथा कुछ बड़े जिलों में सहायक प्रबंधक स्तरीय कार्यालय भी हैं जहां आवेदन दिया जा सकता है।
सहायक प्रबन्धक भूषण कुमार ने बताया कि सरकाघाट स्थित निगम कार्यालय द्वारा वितीय बर्ष 2022-23 में 17 लाख 19 हजार रूपये में से बैंक ऋण 9.40 लाख टर्म लोन 6.60 लाख रूपये जिसमें 1.19 लाख रूपये सबसिडी दलित वर्ग प्रशिक्षण योजना के तहत 14 प्रशिक्षणार्थी को प्रशिक्षण दिया गया। वहीं इस वित्तीय वर्ष में अभी तक 7.27 लाख रूपये में से बैंक ऋण 4.20 लाख टर्म लोन 2.55 लाख रूपये और सबसिडी 52 हजार रूपये प्रदान की गई। एसडीएम सरकाघाट स्वाति डोगरा ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम हिमाचल प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति परिवारों का अपना निगम है इससे फायदा उठाकर अपनी आमदनी बढ़ाएं और देश की आर्थिक तरक्की में अपना योगदान दे तथा ऋण की निरंतर वसूली अदा करके इस निगम की कार्य क्षमता को बढ़ाने में सहयोग दें।