Breaking News

देखिये कलियुग के श्रवण कुमार, नेत्रहीन माता-पिता को लेकर ‘कांवड़ यात्रा’ पर निकले 3 बेटे

आपने बचपन में त्रेता युग के श्रवण कुमार की कहानी तो सुनी ही होगी, जो अपने नेत्रहीन माता-पिता को कंधे पर उठाकर ‘सत्य की खोज’ में निकला था. श्रवण कुमार के माता-पिता पूरी दुनिया अपने बेटे की आंखों से ही देख पाए थे. आज हम आपको कलियुग के 3 श्रवण कुमार से परिचित करवाते है, जो श्रवण कुमार की तरह ही अपने नेत्रहीन माता-पिता को लेकर ‘कांवड़ यात्रा’ पर निकले हैं.

कलियुग के ये 3 श्रवण कुमार बांस के दो किनारों पर रस्सी के सहारे खटोले बांधकर उसमें अपने नेत्रहीन माता-पिता को बैठाकर तीर्थयात्रा पर निकले हैं. ये तीनों भाई अपने माता-पिता को हाथरस के सासनी से बालेश्वर धाम मंदिर में भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करवाने चले थे. अपने माता-पिता को गंगा स्नान करवाया माता-पिता की बस एक ही ख़्वाहिश थी कि सावन के इस पावन महीने में उनके तीनों बेटे उन्हें गंगा स्नान लेकर जाएं. इसके बाद बच्चों ने भी माता-पिता की इस ख़्वाहिश को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

दरअसल, इन तीनों भाईयों ने अपनी पत्नियों के साथ बुजुर्ग माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर हाथरस से 85 किलोमीटर दूर बुलंदशहर के रामघाट गंगा तक की पैदल यात्रा की. तीनों भाईयों ने 12 जुलाई को यात्रा शुरू की थी और 16 जुलाई की रात 9 बजे वापस अपने घर पहुंचे. ये सभी रामघाट गंगा तट पर माता-पिता को स्नान कराकर गंगाजल के साथ कांवड़ में बिठाकर पैदल ही हाथरस पहुंचे थे.

मीडिया से बातचीत में तीनों बेटों का कहना था कि, ‘हमारे माता-पिता ‘गंगा स्नान’ करना चाहते थे. ऐसे में हम तीनों भाईयों ने फ़ैसला किया कि क्यों न इस बार उन्हें गंगा स्नान कराया जाए. हमने साथ ही कांवड़ लाने का फ़ैसला भी किया. इसके बाद हम अपनी पत्नियों के साथ बुज़ुर्ग माता-पिता को लेकर हाथरस से अलीगढ़ के रामघाट के लिए निकल पड़े. इस दौरान हर 15 किलोमीटर चलने के बाद हमलोग थोड़ा विश्राम कर लेते थे. हम बस यही संदेश देना चाहते हैं कि हमारी तरह सभी लोग अपने माता-पिता की श्रद्धा भाव से सेवा करें

About ANV News