चुनाव चक्रव्यूह के अंतिम द्वार पर सेनाएं आकर खड़ी हो गई हैं। जातीय समीकरणों में उलझे चुनाव में परिदृश्य पूरी तरह से साफ नहीं है। दावे तो बहुत हैं। पर, यह भी सच है कि दिल की धड़कनें सबकी बढ़ी हुई हैं। कुल मिलाकर परिस्थितियां ऐसी आन पड़ी हैं कि …
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