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नगर परिषद चेयर पर्सन के परिवार के विरोध के चलते प्रशासन नहीं ले सका जमीन का कब्जा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी परिवहन निगम बहादुरगढ़ बस अड्डे के साथ लगती जमीन पर अपना कब्जा नहीं ले पा रहा। यहां कब्जा लेने पहुंची टीम को एक बार फिर से विरोध का सामना करना पड़ा। खूब बहस बाजी हुई। नगर परिषद चेयर पर्सन और एसडीएम के बीच भी यह नजारा देखने को मिला। हालांकि रिक्वेस्ट करने पर प्रशासन द्वारा परिवार को कुछ मोहलत दे दी गई। चेयर पर्सन के परिवार ने अपनी पैतृक जमीन पर बनाई गई गौशाला की गायों के लिए दूसरी जमीन देने या फिर जमीन का मुआवजा बढ़ाने की मांग की है। और जब तक उनका मुआवजा नहीं बढ़ाया जाता तब तक है तब तक गौशाला की जमीन को खाली नहीं करने की बात कही है। 

दरअसल बहादुरगढ़ के सेक्टर 9 बाईपास के साथ लगती कई एकड़ जमीन का सरकार ने वर्ष 2011 में अधिग्रहण किया था। ताकि यहां हरियाणा रोडवेज का बस अड्डा और वर्कशॉप बनाई जा सके। बस अड्डा तो बनकर चालू हो गया। लेकिन वर्कशॉप की जमीन कानूनी दांवपेच में फस गई। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने परिवहन निगम के हक में फैसला सुनाया है। जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने बहादुरगढ़ नगर परिषद की चेयर पर्सन के परिवार को जमीन खाली करने के कई नोटिस दिए और उसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों की टीम दूसरी बार विवादित जमीन का कब्जा लेने पहुंची। मगर इस बार भी उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा और उन्हें बैरंग ही वापस लौटना पड़ा।

चेयरपर्सन सरोज राठी के चाचा ससुर कर्मवीर राठी का कहना है कि उन्होंने यहां 2005 में गौशाला बनाई थी और इसी ज़मीन पर उनके पूर्वजों की याद में समाधी भी बना रखी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में बने नए कानून के तहत हाईकोर्ट में एक बार फिर से याचिका दायर की है। जिसकी अगली तारीख 3 अक्टूबर है। उन्होंने कोर्ट की अगली तारीख तक का समय देने की मांग प्रशासनिक अधिकारियों से की। कर्मवीर राठी का साफ तौर पर कहना है कि यहां करीब डेढ़ सौ गाय मौजूद है और काफी बड़ा ढांचा भी है एकदम से से खाली करना संभव नहीं है। इसलिए उन्हें समय दिया जाए या फिर बदले में दूसरी जमीन दी जाए।

वहीं मौके पर पहुंचे बहादुरगढ़ के एसडीएम अनिल कुमार यादव का कहना है कि नियमानुसार समय दीया जा रहा है। इससे पहले भी टीम में वापस लौटी हैं लेकिन कानून की पालना करवाना उनका कर्तव्य है । परिवार जमीन खाली करने के लिए तैयार नहीं है। हालांकि प्रशासन ने गौशाला में मौजूद गायों को मांडोठी गौशाला मैं भेजने की भी पूरी व्यवस्था कर ली है। आने वाले समय में या तो यह गौशाला परिवार स्वयं खाली कर दे अन्यथा गायों की देखरेख और व्यवस्था का जिम्मा प्रशासन संभाल लेगा।

काफी देर तक चले विरोध के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने नगर परिषद की चेयरपर्सन के परिवार को जगह खाली करने के लिए समय दे दिया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस चेयर पर्सन पर शहर भर के अवैध कब्जे हटाने और कोर्ट के आदेशों ल के अनुसार जमीनों का कब्जा लेने का कार्यभार है । वह स्वयं ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अपनी जमीन खाली करने में आनाकानी कर रही है। ऐसे में प्रशासन आगे क्या कदम उठाता है, यह देखने वाली बात होगी

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