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खुलने लगी विश्वविद्यालयों में भर्तियों के फर्जीवाड़े की पोल: कुमारी सैलजा

चंडीगढ़, 5 नवंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि जींद विश्वविद्यालय में भर्तियों में हुई धांधली ने भाजपा सरकार के दौरान नौकरियों की खरीद-फरोख्त व भाई-भतीजावाद की पोल खोल दी है। साल 2014 में जब से भाजपा ने प्रदेश की सत्ता संभाली है, तभी से ही विश्वविद्यालयों में भाजपा नेता अपने परिजनों, रिश्तेदारों, चहेतों व आरएसएस से जुड़े लोगों को नौकरियों की बंदरबांट कर रहे हैं। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पिछले 09 साल के दौरान हुई तमाम भर्तियों की जांच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस की निगरानी में होनी चाहिए, ताकि सभी भर्ती कांड उजागर हो सकें।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि जींद की चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी में साल 2018-19 में हुई भर्तियां विजिलेंस जांच में अवैध घोषित की गई है। यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी व भर्ती कमेटी के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराने की सिफारिश एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने की है। जबकि, प्रदेश की अन्य यूनिवर्सिटी में भी इसी तरह भर्तियां की गई। हर बार भर्तियों पर सवाल उठाए गए, लेकिन राज्य सरकार की सहमति के कारण जांच तक नहीं की गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिरसा की सीडीएलयू में हुई भर्तियों का मामला तो हाई कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में हाई कोर्ट के जस्टिस की अगुवाई में एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए और साल 2014 के बाद विश्वविद्यालयों में जितनी भी भर्ती हुई हैं, उनकी जांच के अधिकार इन्हें दिए जाएं। इससे भाजपा का नौकरियों में बिना पर्ची-बिना खर्ची का दावा तुरंत हवा होता नजर आएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में हुई भर्तियों पर सवाल उठते है।  हर विश्व विद्यालयों में हुई भर्तियों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

कुमारी सैलजा ने कहा कि इससे पहले हरियाणा लोक सेवा आयोग व हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा की गई भर्तियों पर भी खूब सवाल उठते रहे हैं। इनकी कितनी ही भर्तियां पेपर लीक में फंस चुकी हैं और कितनी ही भर्तियों को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट या तो रद्द कर चुका है, या फिर उन पर स्टे चल रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एचपीएससी में रुपये से भरे सूटकेस पकड़े जाते हैं तो एचएसएससी के चेयरमैन को छह माह के लिए सस्पेंड रखा जाता है। कितनी ही बार एचएसएससी कर्मियों की मिलीभगत सामने आती है और उन पर मामले दर्ज होते हैं। इससे स्पष्ट है कि एचपीएससी व एचएसएससी में कुछ भी ठीक नहीं है। नौकरियों की सरेआम नीलामी हो रही है।

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