दादरी जिले में इन दिनों टमाटर उगाने वाले किसानों का हाल-बेहाल है। ऐसा लग रहा है कि इस साल टमाटर किसानों का चेहरा लाल करने से कोई कसर नहीं छोड़ने वाला है। पहले ओलावृष्टि ने तो अब टमाटर के गिरते दामों ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। प्रति एकड़ करीब 30 हजार की लागत लगाने के बाद भी किसानों को अब खरीददार नहीं मिलने पर लागत भी वसूल नहीं हो रही है। ऐसे में किसान अपनी टमाटर की फसल को फेंकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि किसानों ने सरकार से मुआवजे की गुहार लगाते हुए सूध लेने की मांग उठाई है।
बता दें कि चरखी दादरी क्षेत्र के अनेक इलाकों में किसान टमाटर की खेती कर रहे हैं। बीते दिनों हुई ओलावृष्टि की मार यहां के किसान अभी तक भुगत रहे हैं। ओलावृष्टि ने टमाटर उत्पादक किसानों के समक्ष बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। अब खुले बाजार में टमाटर काफी सस्ता बिक रहा है। थोक रेट में जब किसान अपने टमाटर की फसल लेकर मंडी पहुंचता है तो कोई नाममात्र के भाव में भी इसे नहीं पूछता है। ओलावृष्टि के कारण टमाटर की गुणवत्ता में काफी कमी आई है। टमाटर सड़ने के अलावा टमाटर में कीड़े का प्रकोप देखने को मिल रहा है जिससे बाजार में टमार का उचित भाव नहीं मिल पा रहा
टमाटर उत्पादक किसान राजपाल, राजेश, राकेश चांदवास इत्यादि ने बताया कि टमाटर की फसल लगाने के लिए प्रति एकड़ करीब 30 हजार रुपये की लागत आई है। जबकि टमाटर का भाव अब लगभग 4 रुपये प्रति किलोग्राम मिल पा रहा है। कई बार तो मंडी में उनका टमाटर खरीदा भी नहीं जाता है। ऐसे में किसान सड़क पर टमाटर फैंकने को मजबूर हैं। किसानों ने मांग की है कि सरकार जल्द गिरदावरी करवाकर टमाटर उत्पादक किसानों को उचित मुआवजा दे ताकि टमाटर की खेती में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके।
कृषि विभाग के उपमंडल अधिकारी डा. कृष्ण कुमार ने फोन पर बताया कि कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि के कारण टमाटर की खेती पर भी व्यापक असर पड़ा है। वहीं टमाटर में कीड़े के प्रकोप के चलते भी उत्पादन में कमी आई है। हालांकि कृषि विभाग द्वारा खराबे की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी गई है।