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महिला कोच तो आरती करने नहीं गयी थी

-कमलेश भारतीय
हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन ने कैथल के एक बड़े काॅलेज में कमाल की दलीलें दी हैं और सुझाव के साथ साथ उपाय भी ! चेयरपर्सन ने कहा कि समाज बदल रहा है और जब किसी लड़के के साथ दोस्ती हो जाती है तो वह लड़की को ओयो होटल ले जाता है । लड़की बाद में बताती है कि कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर गलत काम किया । बताओ होटल जाने से पहले लड़कियों को पता नहीं होता कि ओयो होटल कोई धार्मिक स्थान तो है नहीं और न वे वहां आरती करने जा रही हैं ! वहा बर्थडे मनाने जाती हो और फिर केस दर्ज करवाती हो ! वे कानून, साइबर क्राइम और जागरूकता शिविर को संबोधित कर रही थीं । यह भी कहा कि जितने क्राइम लड़कियों के साथ हो रहे हैं उनमें से ज्यादातर लड़कों के साथ लिव इन में रह रही थी । यानी उनका इशारा निकिता यादव जैसे कांड की ओर था लेकिन वे कुछ नहीं बोलीं तो महिला कोच और खेलमंत्री के मामले में ! कुछ भी नहीं बोलीं जबकि महिला कोच ने भी खेलमंत्री को कठघरे में खड़ा कर रखा है । क्यों ? क्या महिला कोच खेलमंत्री की कोठी पर उनकी आरती उतारने गयी थीं या कि वे उनके साथ लिव इन में रह रही थी ? दोनों ही बातें हास्यास्पद है ! महिला कोच दिसम्बर के अंत से दर दर भटक कर न्याय की मांग कर रही है लेकिन महिला आयोग की ओर से कहा गया था कि उनके पास कोच ने कोई शिकायत ही नहीं दी और खुद संज्ञान कैसे लें ! क्यों ? बड़ी बड़ी बातें कहना , उपदेश देना आसान है और कुछ व्यावहारिक करके दिखाना मुश्किल ! सुना है चेयरपर्सन ने अभिनय भी किया है और यहां भी न जानने का अभिनय शानदार तरीके से कर रही हैं , जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं कि महिला कोच के साथ क्या हुआ ?
कभी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने भी युवकों द्वारा किसी घिनौनी घटना पर कहा था कि युवकों से कुछ छोटी मोटी गलतियां हो जाती हैं और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने ऐसी घटनाओं की जिम्मेदारी लड़कियों की ड्रैस पर डाल दी थी ।क्या हर लड़की ऐसी वैसी ड्रैस पहनती है ? क्या हर लड़की लिव इन में रहती है ? क्या ड्रैस ही जिम्मेदार है इन घटनाओं के लिये ? क्या महिला कोच को न्याय दिलाने में महिला आयोग आगे आयेगा ? यह साइबर क्राइम नहीं था कि मंत्री महोदय इंस्ट्राग्राम पर चैटिंग कर रहे थे महिला कोच के साथ और वह भी उस पर जो स्वतः ही डिलीट हो जाता था यानी कोई सबूत नहीं छोड़ना चाहते थे ? फिर पहले ही चयन की सूची कैसे महिला कोच को पहुंचा दी और खुश करने की बात भी कर ली ! खुश नहीं करने पर उदाहरण भी दिये और न मानने पर दूरदराज झज्जर में ट्रांस्फर भी कर दी ! यहां किसकी गलती रही , यह तो बताइये !
अभी तक नार्को टेस्ट से बचने के बहाने ढूंढ रहे हैं और विधानसभा में मेडिकल के आधार पर छुट्टी पर रहे ताकि विपक्ष का सामना न करना पड़े! हद है न ! सरकार बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ ! बेटी बच भी गयी , पढ़ भी गयी और नौकरी भी लग गयी , अब तो बचाओ !

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