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गुरुग्राम के किसानों का विरोध एक बार फिर सरकार के खिलाफ दिखाई दिया

गुरुग्राम के किसानों का विरोध एक बार फिर सरकार के खिलाफ दिखाई दिया। इस कड़ी में मानेसर के किसानों ने 1810 एकड़ जमीन के उचित मुआवजे के लिए महापंचायत का आयोजन किया। पंचायत के समर्थन के लिए किसान नेता राकेश टिकैत राज्यपाल सत्यपाल मलिक और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता भी पहुंचे। महापंचायत में मानेसर कासन गांव के अलावा अलग-अलग 25 गांव के किसान भी इस महापंचायत का समर्थन करने के लिए पहुंचे। महापंचायत में यह पहले से ही निर्धारित किया गया था अगर 1:00 बजे तक उनकी बात सुनने के लिए सरकार या प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा नहीं पहुंचा तो वह मानेसर तहसील को ताला जड़ देंगे।

पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक का कहना है कि सरकार किसानों के साथ शुरुआत से ही अत्याचार करती आई है और अब गुरुग्राम के मानेसर इलाके के किसान जब अपना हक मांग रहे हैं तो सरकार उनके साथ नाइंसाफी कर रही है। कार को इनकी मांगे मानते हुए इनको या तो उचित मुआवजा देना चाहिए या फिर इनकी जमीन को अधिग्रहण मुक्त कर देना चाहिए। किसान नेता राकेश टिकैत ने भी इस महापंचायत का समर्थन किया और कहा कि जो लोग अनशन पर बैठे हैं उन्हें अनशन पर नहीं बैठना चाहिए बल्कि पेट भर कर और हाथ में लाठी लेकर सरकार के विरोध में खड़े हो जाना चाहिए। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम दिल्ली को घेरने की तैयारी कर रहे हैं और दिल्ली की ओर जाने वाले सभी जिलों से जो हाईवे पर अंडरपास बनाए गए हैं उनको बंद करने की भी तैयारी की जा रही है हालांकि अभी राकेश टिकैत ने यह साफ नहीं किया कि वह दिल्ली को कब बंद करने वाले हैं।

पिछले1 सप्ताह से अनशन पर बैठे किसानों का कहना है कि महापंचायत में फैसला हुआ है कि अब अनशन ना करके बल्कि पेट भर के इस विरोध को जारी रखा जाएगा और आने वाली 9 जुलाई को एक बड़ी पंचायत का आयोजन किया जाएगा और जो भी पंचायत में अध्यक्ष ऐसा लेंगे उसको पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा। तब तक इसी तरह से यह धरना चलता रहेगा। धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि अब उन्हें अपनी जमीन के बदले में उचित मुआवजा नहीं चाहिए बल्कि अपनी जमीन वापस चाहिए क्योंकि जो मुआवजा सरकार दे रही है उसमें इस इलाके में एक 100 गज का प्लॉट लेना भी नामुमकिन है।

महापंचायत में अलग-अलग नेताओं का आना-जाना लगा रहा लेकिन जैसे ही 1:00 किसानों ने आव देखा न ताव एचएसआईआईडीसी और मानेसर तहसील पर ताला जड़ने के लिए हल्ला बोल दिया। इस दौरान गुरुग्राम पुलिस ने किसानों को रोकने की पुरजोर कोशिश की हाथ में लाठी-डंडे लिए भी खड़े रहे लेकिन किसान ना तो रुके और ना ही पुलिस के डर से झुके। काफी देर तक एचएसआईआईडीसी के कार्यालय के बाहर किसानों ने हंगामा बरपाया और उसके कार्यालय पर ताला जड़ दिया और किसान वहीं धरने पर बैठ गए। महापंचायत में शामिल कोई ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि वह अब किसी भी कीमत पर अपनी जमीन सरकार को नहीं देंगे बहुत से ग्रामीण ऐसे हैं जो केवल 50 गज के प्लॉट में रहते हैं ऐसे में सरकार उनको प्रति एकड़ के हिसाब से क्या देगी और कैसे देगी यह कहना मुश्किल है।

महापंचायत में जिला प्रशासन की तरफ से अतिरिक्त जिला उपायुक्त किसानों को समझाने के लिए पहुंचे उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि सरकार ने 6 महीने पहले जो दो करोड़ 6700000 रुपे किसानों को देने की बात कही थी जल्दी उस पर मोहर लगने वाली है लेकिन किसानों ने कहा हम आपकी किसी भी बात से सहमत नहीं है जब तक प्रशासन व सरकार उन्हें कोई भी आसमां से लिखित में नहीं देगी वह अपना ना तो धरना बंद करेंगे और ना ही आने वाली 9 जुलाई को महापंचायत स्थापित करेंगे। बहरहाल अब देखना होगा कि आने वाली 9 जुलाई को महापंचायत में किस तरह सरकार को अपनी मांगों के लिए किसान मना पाएंगे।

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