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भयंकर बाढ़ से आधा हरियाणा डूबने का कारण प्राकृतिक आपदा के साथ-साथ ‘‘मैन-मेड आपदा’’ है : रणदीप सुरजेवाला

गुहला, 14 जुलाई 2023
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस महासचिव व सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज गुहला हल्के के बाढ़ से ग्रस्त इलाकों में दौरा किया और लोगों से मिलकर उनका कुशलक्षेम जाना। सुरजेवाला ने कहा कि आज हरियाणा बाढ़ की भीषण विनाशलीला से त्राहि-त्राहि कर रहा है। कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुना नगर, करनाल, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद समेत प्रदेश के 12 जिले और 100 गाँव बाढ़ से प्रभावित हैं, 21 लोग मौत के शिकार हो गए। हजारों लोगों को घर और गाँव छोड़कर दूसरी जगह शरण लेनी पड़ी है। प्रदेश में 3,50,000 एकड़ से अधिक कृषि भूमि बाढ़ की चपेट में है। सैकड़ों-हजारों मवेशी बाढ़ में बह गए। किसान के हजारों ट्यूबवेल खत्म हो गए। हजारों घर जलमग्न हैं। गाँव के गरीबों व किसानों का सारा सामान व खेती-बाड़ी के उपकरण खत्म हो गए हैं।

बाढ़ का पानी अब शाहबाद के अनेकों सेक्टर में घुस गया व कुरुक्षेत्र शहर की आबादी में भी घुस गया है। कई प्रांतीय राजमार्ग व डिस्ट्रिक्ट तथा गाँव की सड़कें बाढ़ के पानी के नीचे डूबी पड़ी हैं, वह यातायात पूरी तरह से बंद है।

सुरजेवाला ने भाजपा जजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बाढ़ की इस विनाशलीला के लिए खट्टर सरकार की 9 साल की अनदेखी व लापरवाही जिम्मेवार है। अगर सीएम व डिप्टी सीएम 9 साल से हैलीकॉप्टर से उतर कर सड़क पर चल रहे होते, तो हरियाणा प्रदेश को ये दिन न देखने पड़ते।

खट्टर सरकार की सच्चाई यह है – हवाहवाई दावे, हवाहवाई सरकार, प्रदेश में बाढ़ का हाहाकार। आधा प्रदेश बाढ़ से डूबा पड़ा है और मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर गुड़गाँव में श्री अमित शाह हो डिनर की दावतें दे रहे हैं। हरियाणा के लोगों के प्रति भाजपा-जजपा सरकार की गंभीरता का ये आलम है।

खट्टर सरकार की लापरवाही का सबसे बड़ा सबूत यह है किः-
● पिछले नौ सालों में यमुना नदी, घग्घर, सरस्वती और मारकंडा के तट बाँध पक्के नहीं किए गए।
● हर बारिश से पहले ‘फ्लड कंट्रोल बोर्ड’ की मीटिंग कर मुख्यमंत्री व सरकार संभावित बाढ़ की रोकथाम का जायजा भी लेते हैं, फ्लड रोकथाम प्लान को लागू करने का निर्णय भी करते हैं, तथा बाकायटा बजट भी एलोकेट होता है। दो महीने पहले ही सारे काम हो लागू होने की मॉनिटरिंग होती है। पर ऐसा कुछ हुआ ही नहीं।


● बाढ़ के हर सीज़न से पहले सरकार सारी ड्रेन्स की सफाई के टेंडर जारी करती है, व बारिश के सीज़न से पहले सभी ड्रेनों व नालों की सफाईयाँ होती हैं। यमुना सहित सभी मौसमी नदियों व ड्रेंस के तटबंधों की जाँच होनी चाहिए ताकि बाढ़ के पानी से तटबंध न टूटें, जैसा कि मौजूदा बाढ़ में हुआ। खट्टर सरकार द्वारा इनमें से कोई कार्य नहीं किया गया।
● बाढ़ के सीज़न से पहले पूरे प्रदेश में हाई वैलोसिटी पंप्स व डीज़ल तथा ऑपरेटर का इंतजाम होता है, ताकि पानी की निकासी हो सके। जब बाढ़ आई तब पता चला कि सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किया।
● जिला प्रशासन की मीटिंग कर बाढ़ संभावित जिलों में सब प्रकार की रोकथाम व बाढ़ आने पर जान-माल का नुकसान रोकने की कार्रवाई की जानी चाहिए। पर खट्टर सरकार इसमें भी फेल साबित हुई।

सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार के हमारी मांग हैं कि वो ‘‘कुंभकर्णी नींद से जागे तथा फौरी तौर से इन मांगों को पूरा करेः-
● जिन 21 लोगों की बाढ़ से मौत हुई है, उनके परिवारों को 15-15 लाख का मुआवज़ा मिले। मुख्यमंत्री द्वारा जान की एवज़ में घोषित किया 4 लाख का मुआवज़ा एक भद्दा मजाक है।
● 3.5 लाख एकड़ से अधिक बाढ़ से डूबी कृषि भूमि तथा नष्ट हुई फसल के एवज़ में फौरी तौर से ₹30,000 प्रति एकड़ मुआवज़ा दिया जाए। यह राशि अगले 15 दिन में किसान को मिले।

● हजारों ट्यूबवेल के कुओं के नुकसान का मुआवज़ा ₹30,000 प्रति ट्यूबवेल व मवेशियों के नुकसान का मुआवज़ा ₹50,000 प्रति मवेशी दिया जाए।

● बाढ़ में डूबे मकानों की मरम्मत का मुआवजा सर्वे करवाकर कम से कम ₹50,000 प्रति मकान दिया जाए। अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्गों के लोगों के घरों का जो नुकसान हुआ है, उसमें घरों के मुआवज़े के साथ-साथ घर का सामान खरीदने के लिए भी ₹20,000 प्रति परिवार दिया जाए।

● सभी नदियों के टूटे तटबांध युद्धस्तर पर दुरुस्त करवाकर दिनरात चलने वाले हाई वैलोसिटी पंप सेट्स का प्रावधान किया जाए, ताकि जल्द से जल्द घरों व खेतों से पानी की निकासी हो।

● बाढ़ पीड़ितों के पुर्नस्थापन के लिए मुख्यमंत्री सीमित समय में पूरे होने वाले एक प्लान की घोषणा करें, जिसमें सभी धर्मशालाओं की मरम्मत की ग्रांट, पीने के पानी की सप्लाई को फौरी तौर से दुरुस्त करना, सभी गाँव की सड़कों, गाँव को जोड़ने वाली सड़कों, डिस्ट्रिक्ट रोड व स्टेट हाईवेज़ की 30 दिन में मरम्मत हो। बाढ़ का पानी उतरते ही सारे स्कूल दोबारा शुरू किए जाएं।

उन्होंने कहा कि खट्टर-दुष्यंत चौटाला जी की जोड़ी को सत्ता के घमंड से ऊपर उठकर बाढ़ राहत के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता है, वर्ना वो दिन दूर नहीं कि हरियाणा के लोग भाजपा-जजपा के राजनैतिक अस्तित्व को मिटा देंगे।

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