हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम में करवाई जा रही पढ़ाई का अब औचक निरीक्षण होगा। सुक्खू सरकार के निर्देशों पर समग्र शिक्षा अभियान का परियोजना निदेशालय विशेष जांच दल गठित करेगा। यह जांच दल स्कूलों में जाकर जांचेगा कि स्मार्ट क्लास रूम में लगाए गए सभी उपकरणों का सदुपयोग किया जा रहा है या नहीं। शिक्षक कितनी देर और स्मार्ट क्लास रूम में क्या-क्या पढ़ा रहे हैं। स्कूलों में जाकर इन मामलों को जांचने के अलावा शिक्षा निदेशालय से भी ऑनलाइन माॅनीटरिंग की जाएगी। समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने बताया कि इंटरनेट के अभाव से जूझने वाले आईसीटी लैब स्कूलों में सेटेलाइट के माध्यम से वाईफाई की सुविधा दी जाएगी। स्मार्ट क्लास रूम में लगाए गए उपकरणों को चलाने के लिए इंटरनेट सेवाएं बेहतर नहीं होंगी तो इनका इस्तेमाल नहीं होगा।
अब आईसीटी लैब बनाने से पहले वाईफाई का बंदोबस्त किया जाएगा। जहां पहले से स्मार्ट क्लास रूम बने हैं, वहां के लिए विशेष बजट जारी किया जाएगा। सेटेलाइट के माध्यम से वाईफाई देने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वोकेशनल कोर्स का दायरा बढ़ाने जा रहे हैं। नौवीं से बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को कौशल आधारित कोर्स करवाए जा रहे हैं। रोजगारपूरक शिक्षा देने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए कौशल विकास निगम की मदद भी ली जा रही है। कॉलेजों में वोकेशनल की डिग्री भी दी जा रही है। निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि वोकेशनल शिक्षकों की नियुक्ति शिक्षा विभाग नहीं करता। भारत सरकार के उपक्रम के माध्यम से इनकी नियुक्तियां होती हैं। प्रशिक्षण देने वाली कंपनियों को केंद्र सरकार ने चयनित किया हुआ है। इन शिक्षकों का वेतन बढ़ाने का मामला केंद्र सरकार से उठाया था। अब इन शिक्षकों को प्रतिमाह 23 हजार का वेतन दिया जाएगा।