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चालीस दिन तक मदद न मिलने पर ग्रामीण ख़ुद मलवा हटाने के लिए मजबूर

सरकाघाट। धर्मपुर उपमण्डल की सरस्कान ग्राम पंचायत की बस्ती नरेढा पर 14 अगस्त को आया मलवा इस उपमंडल में सबसे ज्यादा है। इस गांव में सभी 19 परिवार अनुसूचित जाति के ही निवास करते हैं। जिनमें से 14 परिवारों के मकान और गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई है और गांव से दो किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर मलोंन गांव में फ़टे बादल से ये बस्ती अब बड़ी-बड़ी चटानों और मलवे के ढेर में तबदील हो गयी है। हालांकि, ल्हासा दिन के समय गिरा था तो लोगों ने इधर उधर भाग कर अपनी जान बचाई थी लेक़िन एक भैंस, एक कटड़ी और चार बकरियां मलबे में दब गई थी।

जिन परिवारों के मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं वे 40 दिनों तक दुसरों के घरों में रहे और अब दो तीन दिन पहले फ़िर से यहां लौट आए हैं। लेकिन बड़े अफ़सोस की बात तो यह है कि इस बस्ती में घरों के अंदर जो मलबा भरा है उसे हटाने के लिए प्रशासन ने अभी तक पहल नहीं कि है और अब परिवार के लोगों को ख़ुद इस मलबे को हटाने के लिए कड़ी मसकत करनी पड़ रही है।हालाँकि ग्राम पंचायत ने मनरेगा के कुछ मज़दूर जरूर भेजे थे लेकिन वे इसे हटाने के लिए नाकाफ़ी थे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और हिमाचल किसान सभा धर्मपुर की टीम ने पिछले कल पार्टी नेता व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह की अगुआई में जब इस गांव का दौरा किया और प्रभावितों की समस्याओं की जानकारी प्राप्त की। जिसमें सभा के अध्यक्ष रणताज राणा, पृथी सिंह,श्याम सिंह, नानक चन्द, प्रेम सिंह शामिल थे।

इस टीम को स्थानीय लोगों ने यहां से 40 दिनों तक मलवा न उठवाने और अन्य जरूरी मदद न मिलने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन के प्रति नाराज़गी व्यक्त की है ।भपेंद्र सिंह ने बताया कि इस बस्ती में लेख राज, टेक चन्द, राजकुमार, निर्मला देवी, प्रमीला, सुंदर सिंह, रोशन लाल, रमेश कुमार, बेल्लू राम, काहन सिंह, बिरी सिंह, शिव राम, श्रवण कुमार, दूनी चन्द, जगदीश, बिमला और जसवंत सिंह के मकान मकान हैं और ये सब पुराने समय से एक छोटे नाले के साथ बने हुए हैं।यहां पर दस साल पहले भी ल्हासा आया था और इस बार तो जितना ज़्यादा मलबा ऊपर से आया है तो उसको देखते हुए इन सभी परिवारों को दूसरी सुरक्षित जगह बसाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा कि सभी परिवार सरकार से भी यही मांग कर रहे हैं कि उन्हें दूसरी जगह सरकारी भूमि आवंटित की जाए।लेक़िन ग्रामीणों ने नाराज़गी भी व्यक्त की है कि उनके नुकसान को अभी तक राजस्व विभाग द्धारा अभी तक उनकी डैमेज रिपोर्ट ऑनलाईन तक नहीं कि है और उसके लिए भी प्रभावित परिवारों को ही बोला जा रहा है।यही नहीं गांव में जो बड़ी बड़ी चटानें आयी हैं उनसे बनने वाले पथरों के लिए ठेकेदारों में प्रतियोगिता शुरू हो गई है लेकिन घरों के अंदर और आसपास भरे मलबे को हटाने के लिए 45 दिन बाद भी कोई प्रयास नहीं किया गया है।

भपेंद्र सिंह ने कहा कि वैसे तो वर्षा से हर जगह नुक़सान हुआ है लेकिन जहां लोग बेघर हो गए हैं लेक़िन प्रशासन को उन गांवों व घरों के पुनरवास और पुननिर्माण के लिए स्थानीय प्रशासन और सरकार को प्रथमिकता देनी चाहिए। हालांकि यहां पर विधायक से लेकर अन्य प्रतिनिधि व अधिकारी दौरा कर गए हैं लेक़िन राहत के लिए अभी तक कुछ नहीं किया गया है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि धर्मपुर उपमण्डल में एक स्थान पर सबसे ज्यादा नुक़सान इसी जगह हुआ है लेक़िन अगर वहीं पर ये स्थिति है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वास्तव में प्रभावितों की मदद के लिए सरकार व प्रशासन कितना गम्भीर है।भूपेंद्र सिंह ने मांग की है कि इस बस्ती के घरों में से मलबे को हटाने, डैमेज रिपोर्ट को जल्दी ऑनलाईन करने और इन सभी परिवारों को सुरक्षित भूमि आवंटित करने के लिए जल्दी कार्रवाई की जाए।

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