नागार्जुन सागर बांध भारत के सबसे ऊंचे बांधों में से एक है. यह हैदराबाद से 150 किमी दूर कृष्णा नदी पर स्थित है. बौद्ध स्कॉलर नागार्जुन पर इसका नाम पड़ा है. इसके बनने की शुरुआत 10 दिसंबर 1955 को हुई थी और यह 1967 में तैयार हो गया था. इसको बनाने में 132.32 करोड़ रुपये की लागत आई थी. यह बांध आंध्र प्रदेश के कृष्णा, गुंटूर, पालनाडु, प्रकाशम और पश्चिमी गोदावरी जिलों के कुछ हिस्सों और तेलंगाना के नलगोंडा, सूर्यपेट, खम्मम, भद्राद्री कोठागुडेम जिलों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराता है. यह नेशनल ग्रिड के लिए बिजली उत्पादन का भी एक स्रोत है.
इस बांध से बनी नागार्जुन सागर झील दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है. विश्व की सबसे बड़ी आर्टिफिशियल झील गोविन्द वल्लभ पंत सागर झील है, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर है.लेकिन जरा सोचिए अगर नागार्जुन सागर बांध टूट जाए तो क्या होगा. यह आपको बताएंगे लेकिन पहले बांध पर एक नजर डाल लेते हैं. यह बांध 407 फीट ऊंचा और 1.6 किलोमीटर चौड़ा है. इसमें 26 गेट लगे हैं, जो 42 फीट चौड़े और 45 फीट ऊंचे हैं. इसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना संयुक्त रूप से संचालित करते हैं अगर नागार्जुन सागर बांध टूटा तो कई तरह के पर्यावरणीय खतरे पैदा हो सकते हैं. जैसे बांध के कारण नदी की धारा मोड़ने से डेल्टा क्षेत्र में जल प्रवाह अनिश्चित हो सकता है, जिससे कोल्लेरू झील सिकुड़ सकती है. इसके अलावा आसपास के जो इलाके हैं, वह सारे जलमग्न हो सकते हैं. शहरी इलाकों में पानी भर सकता है. इतना ही नहीं हजारों लोग जान भी गंवा सकते हैं. शहरी इलाकों में यातायात पूरी तरह से ठप हो सकता है. इतना ही नहीं मछलियां और अन्य पानी के जानवर भी बेमौत मारे जाएंगे.