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अमृतपाल सिंह ने किया है संगठन पर कब्ज़ा,खलिस्तान को लेकर नहीं है कोई मांग

चंडीगढ़ :-(अश्वनी कौशल) अजनाला में वारिस पंजाब दे प्रमुख अमृतपाल सिंह के करीबी तूफान सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में उपजे हालातों ने पंजाब की चिंता एक बार फिर बढ़ा दी है। इन हालातों को एक नए खतरे के रूप में देखा जा रहा है।
वारिस पंजाब दे का गठन कृषि बिलों के खिलाफ उठे किसान आंदोलन के दौरान किसान नेता दीप सिद्धु ने किया था। पिछले साल एक सडक़ हादसे में सिद्धु की मौत हो गई थी। मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक अमृतपाल के साथ खतरनाक हथियारों वाले लोग हैं। अजनाला पुलिस स्टेशन की घटना के बाद अमृतपाल सिंह की तुलना जनरैल सिंह भिंडरावाले से की जा रही है। इसी अहम मुद्दे पर पंजाब के पूर्व पुलिस प्रमुख शशिकांत ने खुल कर अपने विचार व्यक्त किए हैं।

कौन है अमृतपाल सिंह

पूर्व पंजाब DGP शशिकांत -: “वह ट्रांसपोर्ट के बिजनेस के लिए दुबई में था और वह वापस लौट आया। जो भी हुआ थोड़ा रहस्यमय है। दीप सिद्धू नामक शख्स ने “वारिस पंजाब दे” नाम का संगठन शुरू किया दुर्भाग्यवश फरवरी के महीने में वह एक्सीडेंट में मारा गया। उसकी मौत के बाद कोई नहीं था जो उसके संगठन को चलाएं हालांकि उसका परिवार संगठन देख रहा था लेकिन तभी अचानक ये अमृतपाल सिंह सामने आया और उसने इस संगठन पर कब्जा कर लिया। मैं नहीं जानता की अमृतपाल को किसने चुना और किसने ट्रेन किया लेकिन उसने अपने इंटरव्यू में भिंडरावाले के बारे में बात की,”

क्या यह खालिस्तान आंदोलन की शरुआत है?

पूर्व पंजाब DGP शशिकांत -: “वैसे मैं पूछता हुआ क्या है खालिस्तान आंदोलन यह पहले भी नहीं था और ना हीं अब है। कुछ लोगों का एक ग्रुप है, जो आईएसआई -पाकिस्तान या भारत में रहने वाले कुछ ग्रुप इसकी बात करते है। एक बार 1984 में ये सामने आया था लेकिन फ्लॉप साबित हुआ। कुछ घटक दल इसको समय समय पर उठाते रहते है, या फिर जगह जगह अपने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखते रहते हैं। इधर उधर इसकी बातें होती रहती है लेकिन ये आंदोलन न पहले था ना ही आज है, और न कभी भविष्य में होगा,”

क्या अमृतपाल सिंह भिंडरावाले की तरह है

पूर्व पंजाब DGP शशिकांत -: “मुझे बिल्कुल भी नहीं लगता की ये भिंडरावाले की तरह है और उसकी गुरु ग्रंथ साहिब को पुलिस स्टेशन लेकर जाने की वजह से सिख धार्मिक संगठनों में विवाद है और बाद में पंजाब DGP के इंटरव्यू के मुताबिक इन लोगों ने गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी के पीछे छुप कर पुलिस पर हमला किया। अगर इसके प्रभाव की बाते करें तो यह एक केंद्रित डाईसपोरा पर प्रभाव डालेगा जो समय समय पर खालिस्तान की मांग करते रहा है लेकिन इसका इतना प्रभाव पंजाब पर नहीं पड़ेगा और हां यह एक समाज के हिस्से के लिए चिंता का कारण हो सकता है। हमारी सरकार बहुत मजबूत है और 1984 की तरह कुछ भी दुबारा नहीं हो सकता है,”

खालिस्तान आंदोलन सिखों की कोई मांग

“यहां खालिस्तान को लेकर कोई भी मांग नहीं है हां कुछ धार्मिक तत्व ऐसी मांग कर रहे है। लेकिन उनकी मांग से हालत पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि हमारे पास देश में मजबूत सरकार है।

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