हिमाचल प्रदेश के विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में माता सती की जीभ गिरी थी इसलिए इस मंदिर का नाम ज्वालामुखी मंदिर पड़ा
ज्वाला मां सभी नॉ देवियों से सबसे बड़ी माता है
हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी में सती माता की जलती हुई जिव्हा गिरी हैं इसलिए इस जगह का नाम ज्वालामुखी पड़ा ।
पुजारी अविनेदर शर्मा ने वताया की जब राजा दक्ष प्रजापति ने महायज्ञ का आयोजन किया उस समय भगवान शंकर जी को उस यज्ञ में निमंत्रण नहीं दिया और माता सती हठ करके अपने पिता के यज्ञ में भाग लेने के लिए गई
लेकिन वहां पर शिव भगवान के लिए उचित स्थान ना देखकर माता सती ने आक्रोश स्वरूप यज्ञशाला में कूद गई और जब भगवान शंकर को पता चला तो वह कहां पर पहुंचे और अपने त्रिशूल के द्वारा माता सती के अर्ध जले शरीर को उठाकर पूरे ब्रह्मांड का भ्रमण करने लगे तब विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र के द्वारा माता के शरीर के विभिन्न अंगों को काट डाला जहां जहां पर भी माता सती के अंग रे वहां वहां पर शक्ति पीठों की स्थापना हुई है ज्वालाजी में माता सती के जीव गिरी इसलिए इस मंदिर का नाम ज्वालामुखी पड़ा
कहते हैं कि माता ज्वालामुखी के मंदिर में श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है और जो भी श्रद्धालु पूजा-अर्चना हवन यज्ञ करता है उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिवर्ष माता ज्वाला जी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और माताजी का शुभ आशीर्वाद प्राप्त करते हैं