सरकाघाट : धर्मपुर उपमंडल में तीन सप्ताह पहले भारी बारिश के कारण विभिन्न क्षेत्रों में बहुत ज्यादा नुक़सान हुआ है।जिसके चलते कई इलाक़े, गांव और मकान प्रभावित हुए हैं।कई लोगों को उन क्षेत्रों और घरों से हटा कर दूसरी जगह ठहराया गया है।लेकिन सरकार व प्रशासन ने अभी तक अधिकारिक रूप में इन क्षेत्रों व घरों के बारे में कोई अधिसूचना जारी नहीं कि है और ये सारा काम मौखिक रूप में ही किया गया है। कई जगह पंचायतों, राजस्व विभाग के कर्मचारियों व कई जगह विधायक ने लोगों को प्रभावित क्षेत्रों से हटने व दूसरी जगह रहने के निर्देश दिये हैं।लेकिन ये सब अभी तक मौखिक रूप में ही है।माकपा नेता व पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने इस बारे मांग की है कि ऐसे सभी क्षेत्र व घर जो सबके ज़्यादा प्रभावित हैं उन्हें लिखित रूप में अधिसूचित किया जाए ताकि ऐसे क्षेत्रों के लिए भविष्य में सरकार द्धारा बनाई जा रही नीति के समय बतौर साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। (Himachal News)
उन्होंने बताया कि प्रशासन वर्षा प्रभावित और सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों की सूची तैयार कर रहा है लेकिन उसमें ये बात कहीं भी दर्ज नहीं है कि ये स्थान व मकान रखने के लिए असुरक्षित है।इसलिये उन सभी रिहायशी इलाकों व घरों को असुरक्षित नोटिफाई किया जाए।धर्मपुर उपमंडल में वर्तमान समय में 36 लोगों को उनके घरों से हटा कर दूसरी जगह ठहराया गया है जहां उन्हें कुछ खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है और कुछ सहायता राशि प्रदान की जा रही है।लेकिन उन परिवारों को वैकल्पिक स्थानों पर बसाने बारे अभी तक कोई स्पष्ट योजना नहीं है।भपेंद्र ने बताया कि अभी तक के रिलीफ़ मैन्युअल के अनुसार किसी भी मकान के गिरने और पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने पर एक लाख तीस हजार रुपये का मुआवजा और 15 हज़ार रुपये रहने व दैनिक उपयोग की सामग्री नष्ट होने का मुआवजा है। लेकिन मकान पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं और उनके पुनर्वास के पर कई लाख रुपये खर्च होंगे।इसलिये सरकार को इस राशी को बढ़ाने की जरूरत है।
इसमें रिहाइशी और गैर रिहायसी मकान और गौशाला की भी शर्त है और इस शर्त के अनुसार केवल रिहायशी भवनों के लिए ये मदद मिल रही है।लेक़िन कई मकान व गौशालाएं वर्षा होने के समय तो गैर रिहायशी हो सकती है लेकिन बाद में तो वह उपयोग में आयेगी।इसलिए ये शर्त भी हटाई जानी चाहिए।निजी सम्पति के अलावा गांवों के रास्ते व सड़के भी टूट गई हैं मकानों के पास ल्हासे गिरे हुए हैं जिन्हें रिस्टोर करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जाना चाहिए लेक़िन हर जगह इन्हें मनरेगा योजना के तहत निर्मित करने के निर्देश दिए जा रहे हैं लेकिन उसके लिए सामग्री प्रभावित परिवार ने स्वयं लेनी है और उसके लिए भी अधिकतम सीमा एक लाख रुपये ही है।लेकिन इन्हें शुरू करवाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं जिसके बारे जल्द योजना निर्माण और उसकी समीक्षा करने की आवश्यकता है।अब सरकार इन्हें रिस्टोर करने के लिए क्रेट वाल लगाने के लिए कहा है लेकिन उसमें पत्थर ज़्यादा लगते हैं और लगाने के लिए ट्रेंड मिस्त्रियों की आवश्यकता है लेकिन वे गांवों में उपलब्ध नहीं हैं।अब क्रशर बन्द कर दिए हैं और उसके बाद निर्माण कार्य करने पर रोक लगा दी है।जिससे ये पुनरनिर्माण की प्रक्रिया प्रभावित होगी। (Himachal News)