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Himachal Disaster: प्रदेश में तबाही के दौरान नहीं काम आया भूस्खलन का अर्ली वार्निंग सिस्टम, दावे हुए फेल|

हिमाचल प्रदेश में इस बार बारिश ने पूरे प्रदेश को हिला के रख दिया। इसी बीच प्रदेश में भारी तबाही के बीच भूस्खलन का अर्ली वार्निंग सिस्टम काम नहीं आया। सूबे में यह सिस्टम करीब 50 जगहों पर स्थापित है। भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील मंडी, कांगड़ा, किन्नौर और लाहौल-स्पीति में इसके सफल प्रयोग किए जाने के दावे किए जा चुके हैं। मगर, इस बार भारी बारिश के चलते हुई भयावक तबाही में यह प्रणाली पूर्वानुमान से किसी हादसे को रोकने में सहयोगी रही हो, ऐसा कोई उदाहरण नहीं है। दरअसल, हिमाचल के पास भूस्खलन की अपनी पूर्व चेतावनी प्रणाली मौजूद है। आईआईटी मंडी के विशेषज्ञ इसे प्रदेश के तमाम भागों में लगाने के लिए तैयार हैं, जबकि यह बहुत अधिक खर्चीला काम भी नहीं है। (Himachal News)

लेकिन इसकी कार्यकुशलता पर राज्य सरकार ने ही सवाल खड़ा कर दिया है। कहने के लिए इस प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यह बताई गई है कि यह भारत में सबसे कम खर्च पर तैयार पहला यंत्र है। पांच साल पहले इस प्रणाली को स्थापित करना शुरू कर दिया गया था। लेकिन हिमाचल में भारी बारिश के दौरान ये भूस्खलन वार्निंग सिस्टम किसी काम नहीं आया. यह प्रणाली वर्ष 2018 में आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों ने तैयार की। सबसे पहले मंडी में कटिंडी से कमांद के बीच संवेदनशील पहाड़ियों पर इसके चार, कमांद से सालगी तक दो यूनिट, कोटरोपी में एक और गुम्मा में भी एक यूनिट लगाया गया। इनके अलावा किन्नौर, लाहाैल-स्पीति और कांगड़ा जिलों में भी कुछ इकाइयां लगाई गईं। इनमें सफल प्रयोग के दावे किए जा चुके हैं। लेकिन इसके बार वह दावे भी किसी काम नहीं आए|

ऐसे करता है कामइस तकनीक के अनुसार जब भी उस जगह जमीन में हलचल होती है तो प्रोसेसिंग यूनिट संदेश पहुंचाता है और तभी अलर्ट यूनिट में रेड लाइट जलती है और हूटर बजता है। इसे नियंत्रित कर रही टीम के पास भी अलर्ट आता है। यूरोपीय देशों में भूस्खलन का अर्ली वार्निंग सिस्टम इतना मजबूत है कि वहां किसी की जान नहीं जाती है। देश के अन्य राज्यों समेत हिमाचल इस तकनीक में अभी काफी पीछे है। मौजूदा अर्ली वार्निंग सिस्टम बिलकुल भी प्रभावी नहीं है। इसे राज्य भर में 50 जगहों पर स्थापित किया गया है। आईआईटी मंडी की ओर से तैयार की इस प्रणाली को और कारगर बनाने को कहा गया है, ताकि यह भूस्खलन से तबाही से पहले अलर्ट कर दे। लेकिन इस बार ये भूस्खलन वार्निंग सिस्टम काम नहीं आया| – ओंकार शर्मा, प्रधान सचिव राजस्व व आपदा प्रबंधन (Himachal News)

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